हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Friday, March 27, 2009

चलो प्रियतम, विदा

चलो प्रियतम, विदा
प्रेम रहे सदा
जीवन तो चलता रहेगा
यात्रा भी
रुक नहीं सकते कदम ।।

अब यादों में
आना-जाना होगा
याद रखना
हंसकर मिलना
मैं भी कोशिश करुंगा
चलो प्रियतम, विदा ।।

जीवन
सफर से कम तो नहीं
हम राही थे
अब बिछड़ना भी होगा
कदम दो कदम चले साथ
इतना भी काफी था
अब उन निशानों पर
देखो धूल जमी है
चलो प्रियतम, विदा ।।

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3 Comments:

At March 27, 2009 at 7:33 PM , Blogger इरशाद अली said...

सून्दर प्रयास। बहुत बहुत बधाई

 
At March 28, 2009 at 3:43 AM , Blogger शोभा said...

जीवन
सफर से कम तो नहीं
हम राही थे
अब बिछड़ना भी होगा
कदम दो कदम चले साथ
इतना भी काफी था
अब उन निशानों पर
देखो धूल जमी है
चलो प्रियबहुत अच्छा लिखा है।

 
At March 29, 2009 at 6:21 AM , Blogger Jargon said...

Bahut khoob

 

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