उसके लिए...
मुझे तुमसे कितना कुछ मिला ।
रातें लंबी- लंबी,
काली अंधेरी।
लगातार बारिश,
भीगती सुबह।
तपती दुपहरी,
लू के थपेड़े।
फिर ओस भरी,
सर्द शाम।
तुम बिन भी,
बहुत कुछ है
मेरे पास।
धूल, आंधी है
प्यास, बैचेनी है।
प्यार अधूरा सा,
पूरा बचा है।
अब भी, तुम बिन ।।
Labels: मेरी रचना
7 Comments:
sunder kavita or naynabhiraam tasveeron ke lea dhanyavaad. chithhajagat apka haardik abhinandan karta hai...
ब्लॉग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है .आपके अनवरत लेखन के लिए मेरी शुभ कामनाएं ...
Acchi post. swagat.
बहुत अच्छी शुरुआत है। लिखते रहिए।
-हिमांशु
वाह जीतेंद्र भाई मज़ा आ गया आपकी रचना के साथ-साथ नैनीता की सैर भी कर ली।
kaash1 man himalay saaa hota. narayan narayan
तुम बिन भी,
बहुत कुछ है
मेरे पास।
धूल, आंधी है
प्यास, बैचेनी है।..
bahut badhiya...
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