हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Thursday, March 19, 2009

जेड गुडी के नाम पर


कैसा होता होगा ?
खुद को मरता हुआ देखना
एक-एक पल शरीर को गलता देखना
कैसा होता होगा ?
एक-एक सांस को उखड़ते देखना

मौत जब दबे पांव नहीं आती
उद्घोष करती है
अपने आने का
कानों के बिल्कुल करीब आकर

फिर एक-एक दिन
आंखे देखती हैं
पल-पल गुजरते हुए
जैसे बंद मुट्ठी से रेत निकल जाती है
कैसा होता होगा ?

कैसा होता होगा ?
27 साल की उम्र में
कैंसर को भोगना
वो कैंसर जो दूर-दर तक जड़ें जमा चुका है
कभी ना ठीक होने के इरादे के साथ

ऐसे वक्त में जब आप मां हो
और आपके इर्द गिर्द
दो नन्हें मुन्हें घूम रहे हों
और आपको पता हो
कल मुझे नहीं रहना है
कैसा होता होगा ?

जेड गुडी है उसका नाम
मौत उसे उससे छीन रही है
उसकी आंखों के सामने
डॉक्टर कहते हैं.....
एक हफ्ता और
और फिर.....
जेड को भी मालूम है
वो नहीं रहेगी
मौत आएगी
और सब ख़त्म हो जाएगा ।।

Labels:

1 Comments:

At March 19, 2009 at 11:52 AM , Blogger ghughutibasuti said...

बहुत विचित्र होता होगा। परन्तु यह सत्य सबको देर सबेर झेलना ही होता है।
घुघूती बासूती

 

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home