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Wednesday, February 27, 2019

इन “देशभक्त” गालीबाजों की बातें सुनकर भारत माता रो पड़ेगी!


उन्हें सवाल बहुत चुभते हैं। चाहे सवाल राफेल डील के बारे में हो। चाहे सीएजी, चुनाव आयोग, सीवीसी या सीबीआई से जुड़ा हो। सवाल रोजगार और किसानों के बारे में पूछे जाएं। या फिर ये सवाल पुलवामा के आतंकवादी हमले से जुड़ा हो।
सवाल कोई भी हो, वो हर सवाल को नरेंद्र मोदी और केंद्र में चल रही उनकी सरकार से जोड़ देंगे। और इन सवालों को मोदी और उनकी सरकार पर हमले के तौर पर देखेंगे।
आप एक सवाल पूछिए। सोशल मीडिया पर सवाल पूछने के एवज में आपको कांग्रेस का दलाल कहा जाएगा। कोई वामी कहेगा, या फिर टुकड़े-टुकड़े गैंग कहकर पुकारेगा। कभी सिकुलर शब्द दोहराया जाएगा। आप पर अपनी गलत गिरवी रखने का आरोप लगाए जाएंगे। कोई पूछेगा कि सरकार से सवाल पूछने पर राहुल गांधी कितने पैसे देता है?
कुछ ऐसे लोग भी मिलेंगे, जो आप पर निजी टिप्पणी करेंगे। जाति, धर्म और खून के बारे में भद्दी बातें लिखेंगे।


पिछले कुछ दिनों का अनुभव इसी तरह का रहा है। मैंने पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के पांच साल के दौरान कश्मीर में आतंकी घटनाओं में मारे गए लोगों का एक आंकड़ा फेसबुक पर पोस्ट किया था।
इस आंकड़े को सामने रखकर देखें, तो कुछ सवाल पैदा होते हैं। ये सवाल इसलिए ज्यादा गंभीर हैं, क्योंकि पिछले पांच साल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने भाषणों के जरिए कुछ बातें बार-बार बताई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बार-बार कहा। मोदी सरकार आंतकवाद के खिलाफ आयरन फिस्ट की नीति पर चलती है। माने आतंकवाद को बख्शा नहीं जाता, कड़ा प्रहार किया जाता है। प्रधानमंत्री से लेकर उनके मंत्रियों ने सैकड़ों बार कहा, हम कांग्रेस सरकार नहीं हैं, हम गोली का जवाब गोली से देते हैं।और इसी के साथ एक बात और कही गई कि मोदी सरकार आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलती है।
ये अच्छी बात है कि मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रवैया दिखाया। पर इसका असर क्या हुआ?
जो आंकड़े मैंने फेसबुक पोस्ट के जरिए बताए। उनसे यही सवाल उभरता था। आंकड़े साफ-साफ बताते हैं कि यूपीए-2 के पांच साल के मुकाबले मोदी सरकार के पांच साल में आतंकी घटनाओं में मरने वालों की संख्या ज्यादा रही। लेकिन मेरी फ्रेंड लिस्ट में शामिल कुछ दोस्तों को ये आंकड़े और इसकी शक्ल में पूछे गए सवाल पसंद नहीं आए। वैसे सवाल पसंद नहीं आना, बुरी बात नहीं है। संवाद हो, तो विवाद नहीं होता।
पर इन दिनों सोशल मीडिया पर एक ऐसी ब्रिगेड बन गई है, जो संवाद नहीं करती। सीधे अटैक करती है।
ऐसा ही फेसबुक के उस मित्र ने किया। उन्हें आंकड़ों में सवाल नहीं दिखे, कोई विमर्श नहीं दिखा; उन्होंने संवाद की शुरुआत गाली से की।
सिर्फ तीन वाक्यों में उन्होंने मेरे धर्म, जाति और खून पर सवाल उठाए।
उन्होंने लिखा, "तेरी वॉल पेशाब करने और थूकने के लिए है। तू ब्राह्मण हो ही नहीं सकता। कोई मुस्लिम खून होगा।

मैंने इस भद्दी बात पर उलझना ठीक नहीं समझा। मैंने उन्हें प्रणाम (फेसबुक सिंबल) किया।
उन्होंने इसे कायरता समझा। उन्होंने जवाब में लिखा, "फट गई।"
 
वो मेरे द्वारा बताए गए आंकड़ों पर अपने गुस्से को जस्टिफाई करने लगे। उन्होंने आंकड़ों को शहीदों का अपमान बताया। उन्होंने लिखा, "शहीदों का मजाक उड़ाता है, शर्म नहीं आती।"
मैं थोड़ा तंजिया मूड में आ गया।
मैंने लिखा, "ओह, मोदी भक्त हो। माफ करो भाई।"
वो समझ नहीं पाए। उन्होंने जो बात लिखी, वो जबरदस्त थी।
उन्होंने लिखा, "देशभक्त हूं, इसलिए मोदी भक्त भी हूं। तू साले गुलाम है। "


उन्होंने खुद को मोदी भक्त कहा, ये उनका निजी अधिकार है। पर किसी को साले कहना और गुलाम बतलाना गाली की श्रेणी में ही माना जाएगा और एक भक्त को भला क्या ये शोभा देता है?
खैर गालियों का ये सिलसिला बंद नहीं हो रहा। मैंने युद्ध के उन्माद पर एक लेख लिखा। इसे फेसबुक पर शेयर किया। मेरी एक महिला मित्र ने इस पोस्ट पर एक भद्दा कमेंट किया।
उन्होंने मुझे कुत्ता कहकर संबोधित किया। उन्होंने लिखा, “कुत्ते हर तरफ भौंक रहे हैं।
इसके जवाब में मैंने उन्हें स्माइली बनाकर भेजा। उन्होंने लिखा, “समझदार हो तुम, एकदम से पहचान गए।

इस भद्दी भाषा के जवाब में मैंने लिखा, लगता है भक्त हो। उन्होंने कहा, मुझे भक्त होने पर गर्व है।
इन दो प्रतिक्रियाओं से एक बात साबित हो रही है, जो आपको आगे पता चलेगी। मैंने महसूस किया है कि कुछ अरसे से एक नया दस्तूर बन गया है। कुछ लोगों के लिए मोदी का मतलब देश है, और मोदी सरकार राष्ट्र है। ऐसे में अगर मोदी देशहैं, तो फिर मोदी भक्ति और देशभक्ति में कोई फर्क नहीं समझना चाहिए।
तभी तो गालीबाज नंबर एक ने लिखा, "देशभक्त हूं, इसलिए मोदी भक्त भी हूं।
और गालीबाज नंबर दो ने लिखा, “मुझे भक्त होने पर गर्व है।
फेसबुक पर मेरी महिला मित्र (गालीबाज नंबर दो) जिन्हें मैंने अब तक ब्लॉक नहीं किया है, उन्होंने मेरी एक दूसरी पोस्ट पर मुझे कांग्रेसी दलाल बताया।
उन्माद से भरी देशभक्ति से लबरेज, खुद को भक्त बताने वाले ये गालीबाज मेरी वॉल को ही खराब नहीं कर रहे हैं। पत्रकारिता में मेरे पहले गुरु राजीव लोचन शाह ने पुलवामा के आतंकी हमले से जुड़ी एक धमकी भरी पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी थी।
एक शख्स ने फेसबुक पर पोस्ट लिखा, मुझे कश्मीरी छात्रों का एड्रेस बताओ।




ऐसे धमकी भरे कमेंट पर राजीव लोचन शाह ने एक पोस्ट लिखा। उन्होंने लिखा, “ये एक खतरनाक पोस्ट है, जो अभी-अभी मेरी नजरों में आयी। मैंने इन साहब को फटकारने की जुर्रत की, तो इनके समर्थक मुझे भी पाकिस्तान जाने की नसीहत देने लगे।

इस पोस्ट को स्क्रॉल करते हुए मैं नीचे की तरफ आया, तो वहां भद्दी गालियों की बौछार थी। भीषण गालियों को छोड़ते हुए लिख रहा हूं, वहां लिखा था, साले (गाली) हिंदू नाम रखकर (गाली) खुदा याद आ रहा है तुझे। अपनी मां बहन को भेज दे कश्मीर।

इन गालीबाजों के निशाने पर हर वो शख्स है, जो सवाल पूछ रहा है।
इन गालीबाजों ने मशहूर पत्रकार बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई और करप्शन के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले प्रशांत भूषण को भी निशाने पर लिया है। गालीबाजों की गैंग ने बरखा दत्त का मोबाइल नंबर सोशल मीडिया और वट्सएप पर सार्वजनिक कर दिया। 

मोबाइल नंबर सार्वजनिक होते ही, गालीबाजों की गिद्ध फौज कॉल करके भद्दी गालियां सुनाने लगे। खुद को देशभक्त कहने वाले, और भारतीय संस्कृति का झंडा उठाकर चलने वाली टोली एक महिला पत्रकार बरखा दत्त को वट्सएप पर अश्लील तस्वीरें भेजने लगी। बरखा दत्त ने इन गंदी हरकतों के बारे में ट्वीटर पर लिखा, तो ट्रोल सेना ने यहां भी भद्दे कमेंट लिखे।
पत्रकार रवीश कुमार पर भी गालीबाजों की संगठित टोली हमले कर रही है। गालीबाजों की टोली तर्क नहीं करती। बहस नहीं करती। विमर्श नहीं करती। सिर्फ गाली देती है। गालीबाजों की टोली पहले आपको गाली देगी। फिर आपकी पत्नी, बहन, मां को बीच में ले आएगी।
सवाल जितना बड़ा और गहरा होगा। गालीबाजों की टोली उतने ज्यादा हमले करेगी। बरखा दत्त, रवीश कुमार और राजदीप सरदेसाई जैसे बड़े पत्रकारों के मामले में गालीबाजों की टोली सामूहिक हमले करती है।
पर इन गालीबाजों से एक बात साफतौर से कहनी है। आप चाहो, तो सवाल पूछने पर देशद्रोही कह सकते हो। गालियां भी दे सकते हो। पर ये मत सोचना कि सवाल बंद होंगे। सवाल जारी रहेंगे। चाहे आप इन्हें अपने देश (मोदी) पर हमला ही क्यों न मानो।

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