हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Monday, September 30, 2019

वाट्सएप पर जीडीपी चेतक सी दौड़ री...

वाट्सएप पर जीडीपी चेतक सी दौड़ री...
वहां सब ठीक है...

●नौकरियां जाना शुरू ही हुई थी।
लोग कानाफूसी कर रहे थे।
मामले के जानकारों ने कहा, चिंता की बात है।
पर इसे साजिश की तरह देखा गया।
वाट्सएप पर कहा गया था, विपक्ष अफवाह फैला रहा है।
लोगों को व्हाट्सएप पर ज्यादा भरोसा था।

●पहले दो चार नौकरी गयी।
फिर आंकड़ा सौ। हजार हो गया।
बात यहाँ नहीं रुकी।
पर लाख होने तक भी, बात मैनेज की गई।
उन दिनों व्हाट्सएप पर चुटकलों की आमद बढ़ा दी गयी।
बच्चा चोरी से जुड़े वीडियो शेयर होने लगे।

●पहले कार फैक्ट्री से लोग निकले।
फिर कपड़ा सीने वाले।
फिर बिस्कुट की फैक्टरी से निकाले गये लोग।
कच्छे कम बिक रहे हैं ऐसी खबरें भी आई।
पर पांच ट्रिलियन वाली बातों पर लोगों का भरोसा बना रहा।

●कहीं किसी कोने में अफवाह की तरह चस्पा की गई मंदी और छंटनी की खबरें।
पहले पन्ने से इन खबरों को धकेला गया, बलपूर्वक अंदर के पन्नों पर।
ताकि पहली नजर में , किसी की नजर न पड़े।
कश्मीर, पाकिस्तान और मंदिर मस्जिद की खबरों से भरे गए, पहले दूसरे पन्ने।
हकीकत में सारे पन्ने।

●लोग फैक्टरी से हटते रहे।
पर अखबार के पहले पन्ने पर इसको जगह नहीं मिली।
विदेश में प्रधानमंत्री के स्वागत की खबरों से काला हुआ अखबार।
टीवी पर स्पेशल बुलेटिन चले, सुबह से देर रात।

●रुपया गिरा, और गिरा।
गिरता रहा, कई दिन।
अर्थशास्त्र में इसकी अहमियत होती है।
कारोबार पर इसका सीधा असर होता है।
पर अख़बार ने, प्रमुखता से इसके बारे में नहीं बताया।
इस बार, न कार्टून चला टीवी पर।
न परधान बोला, किसकी उम्र पर गया रुपया।
किसी ने रुपये की गिरी कीमत की तुलना बुजुर्ग प्रधानमंत्री की उम्र से नहीं की।
टीवी पर इसको जगह न मिलनी थी, सो यही हुआ।

●फिर अचानक जीडीपी के गिरने का समाचार मिला।
कुछ ज्यादा गिरी है जीडीपी।
व्हाट्सएप पर अभी तक इसके गिरने की पॉजिटिव ख़बर नहीं आयी है।
सुना है "कोश" सक्रिय है।
यकीनन कोई ठोस वजह बताई जाएगी।
जनता को इसका इंतजार रहेगा।
●जितेंद्र भट्ट

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