हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Sunday, February 22, 2009

प्यार



तुमसे,


जो कुछ मिल रहा है


सोचता हूं


बहुत है।।

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4 Comments:

At February 22, 2009 at 8:35 AM , Blogger Udan Tashtari said...

जो मिल जाये..बस, उतना ही काफी और उसके लिए आभार टाईप रचना. बढ़िया है...एक संतुष्ट रचना.

 
At February 22, 2009 at 8:46 AM , Blogger प्रशांत मलिक said...

kam shabdo me kahi gayi gahri baat..

 
At February 22, 2009 at 9:57 AM , Blogger परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!

 
At February 22, 2009 at 9:54 PM , Blogger शोभा said...

अति सुन्दर अभिव्यक्ति।

 

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