ये जो लिख रहा हूं मैं
क्या? ये गहरा प्रेम मेरा
सार्थक हो पाएगा
या यूं ही
सदा शब्दों के फूल खिलाने होंगे।।
क्या? तुम समझोगे इनके अर्थ
ये जो लिख रहा हूं मैं
इसका कुछ तो मतलब होगा
या यूं ही अनजाने से
पड़े रहेंगे / कागज पर चुपचाप।।
मेरे मन के भावों की
सीमा को नाप सकोगे क्या?
यां यूं ही
उथला जान भूला दोगे
क्या? मेरे कविता के शब्दों का
तुम पर सम्मोहन होगा
या यूं ही
ये निष्फल से होकर / पछताएंगे।।
Labels: मेरी रचना
3 Comments:
Sachcha prem hamesha sarthak hota hai..bahut sudar bhav..badhiya rachana..dhanywaad..
ये जो लिख रहा हूं मैं
इसका कुछ तो मतलब होगा
या यूं ही अनजाने से
पड़े रहेंगे / कागज पर चुपचाप।।
बौत सुन्दर भाव हैं शुभकामनायें ये शब्द अपना जादू जरूर दिखायेंगे
हिमालय की तस्वीर के साथ आपके शब्द बहुत प्रभाव रखते हैं। दिल से पढ़ने पर मजबूर करते हैं। बहुत खूब।
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