हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Thursday, July 9, 2009

शब्द ऐसे हों

शब्दों, आडंबर छोड़ो
अपने सच्चे-सरल-सीधे
रुप में उतरो
सरल अर्थ
सादगी से भरे हों
सीधे ह्रदय को छू लो।।
शब्दों, घृणा त्यागो
प्रेम रस बहाओ
मधुरता भरकर
कड़वाहट हर लो।।

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1 Comments:

At July 9, 2009 at 7:37 AM , Blogger Udan Tashtari said...

सुन्दर बात!!

 

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