हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Friday, May 8, 2009

क्या चुनोगे तुम ?

तुम गलत हो
तुम सही नहीं
क्या बात करते हो ?
तुम्हें तमीज़ ही नहीं !
मेरी बात सुनो ध्यान से
ऐसा करो, वैसा नहीं
कान खोल कर सुन लो... तुम
मैं जो कह रहा हूं।
तुमसे कौन सा काम सही होगा ?

इतने ढेर सारे शब्द हैं
इससे भी अधिक हो सकते हैं
लेकिन देते तो बस...
दुख, घृणा, मन की कसक ही हैं ना ।।


तुम अच्चे हो
इस बार तुमने ठीक किया
क्या बात है !
बहुत खूब
तुमसे सीखना होगा
एक्सीलेंट हो तुम

ढेर सारे शब्द
इससे भी कहीं अधिक हो सकते हैं
और देते हैं...
सुख, संतोष, प्यार देखा है ना ।।

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1 Comments:

At October 1, 2010 at 5:00 AM , Blogger Unknown said...

आप समझे नहीं,
तुम नहीं जानते,
अभी तुमको पता नहीं है
हाँ मालूम है मेरेको या पता है मेरेको
ऊपर की लिस्ट में) पीड़ादायक

वाह यार यह क्वालिटी तुम में खूब है।
इस बारे में तुम्हारी पकड़ अच्छी है।
एंड से प्लस प्वाइंट इवन अबाउट थर्ड पर्सन। (नीचे की लिस्ट में जोड़ लें) सुकूनदायक

 

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