हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Monday, June 22, 2009

इंतज़ार

वक्त है...
चलने दो उसकी
आज नहीं
तो कल ही सही
कर लूंगा इंतज़ार
सदियों तक देखूंगा राह
बस एक बार कह दो
आओगी तुम... एक दिन
सौ साल बाद
मेरे लिए ।।

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5 Comments:

At June 22, 2009 at 9:18 PM , Blogger संगीता पुरी said...

अच्‍छी कविता है .. बधाई।

 
At June 22, 2009 at 9:42 PM , Blogger निर्मला कपिला said...

दिल को छू गयी आपकी ये अभिव्यक्ति लाजवाब शुभकामनायें

 
At June 22, 2009 at 10:31 PM , Blogger ओम आर्य said...

बिल्कुल रुहानी प्यार की राह के गीत लगती है ........वरना आज किसको किसकी इंतजार पडी है ......आत्मा तृप्त हो गयी......ऐसी ही रचनाये लिखे

 
At June 23, 2009 at 10:49 AM , Blogger Udan Tashtari said...

बढ़िया है..

 
At October 7, 2010 at 3:32 AM , Blogger Unknown said...

बस एक बार कह दो
आओगी तुम... एक दिन
सौ साल बाद
मेरे लिए ।।
वाह जीतेंद्र जी, फोटो के साथ बहुत खूब बन पड़ा है।

 

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