आज महिला दिवस है
मां को
जिसने मेरे लिए
सहे न जाने कितने दर्द
बहन को
जिसने बिना किसी शर्त
मेरी सारी बात मानी
और उन सबको
जो बिन चाहे मिले
एक सपना भर गए मेरी अधजगी आंखो में
दिल में धड़कनें जगाई
और मेरी थमी थमी राहों को दे गए रफ्तार
वो जो बहुत करीब आए बिन चाहे
और बादल की तरह बरस कर गुम हो गए
वो भी जिनसे कभी नहीं मिला
पर जिनकी कहानियां सुनता हूं
और जो मुझे मेरी मां की याद दिलाती हैं
उन सभी को महिला दिवस पर
एक शब्द 'नमन' ।।
Labels: मेरी कविता
4 Comments:
maa tujhe salam
आंखो में
दिल में धड़कनें जगाई
और मेरी थमी थमी राहों को दे गए रफ्तार
bahut khub
अच्छी है। बढ़िया।
और बादल की तरह बरस कर गुम हो गए
वो भी जिनसे कभी नहीं मिला
पर जिनकी कहानियां सुनता हूं
और जो मुझे मेरी मां की याद दिलाती हैं
....bahut achhi rachna
Haardik badhai
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