हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Monday, March 9, 2009

जब मैंने प्यार किया

जब मैंने प्यार किया
मैंने नहीं देखा
वो कैसी थी ?

पतली थी
मोटी थी
नाटी थी
या फिर बहुत लंबी ?
मैंने नहीं देखा
जब मैंने प्यार किया।

आंखे उसकी कैसी रही होंगी ?
नीली
हरी
या गहरी काली ?
मैंने नहीं देखा
जब मैंने प्यार किया।

वो कैसे चलती थी ?
बलखाकर
या लहराकर
कैसी थी उसकी चाल ?
मैंने नहीं देखा
जब मैंने प्यार किया।

मैंने नहीं देखे उसके बाल
काले थे,
चमकदार या रुखे से ?
कमर तक लहराते थे,
या घुंघराली थी लटें ?
मैंने नहीं देखा
जब मैंने प्यार किया।

मैंने देखा था,
उसमें ढेर सारा प्यार
अनचाहा समर्पण
और....
मेरे साथ हंसने-रोने की कला।।

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1 Comments:

At March 9, 2009 at 7:11 AM , Blogger Unknown said...

मैंने देखा था,
उसमें ढेर सारा प्यार
अनचाहा समर्पण
और....
मेरे साथ हंसने-रोने की कला।


अति सुन्दर

 

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