मौत को देखा है ?
मौत को देखा है ?
करीब बेहद करीब से ?
हां, मैंने देखा है
वो मेरे पिता के करीब आई थी।
और मुझसे आंखे मिलाकर
कह रही थी,
मैं आऊंगी,
चंद दिनों बाद।
मैंने देखा था
अपने पिताजी का चेहरा
उतरा हुआ सा था,
भरोसे की लकीरें
नाउम्मीदी के बादलों से ढक गयी थी।
हाथ,
जो कभी मज़बूत हुआ करते थे
कांप रहे थे
उन्हें सहारा चाहिए था।
मौत
मेरे आगे खड़ी हंस रही थी।
उस पल,
हंसती-हंसती लौट गयी।
पर पांच महीने बाद लौटी,
और तब तक रोज़
शाम के साथ
जैसे-जैसे अंधेरा होता था
वो करीब आ जाती थी।
फोन की हर घंटी के साथ
दिल धड़क कर एक सवाल पूछता
क्या वो आ गई ?
फिर वो आई..... एक दिन
दबे पांव
जब सब सो रहे थे
और चुपचाप ले गयी
मेरे पिता को,
मेरे सामने।
कुछ नहीं कर सका
उस दिन मैं
मैंने देखा है
हां.... देखा है
मौत को करीब से
बेहद करीब से।।
करीब बेहद करीब से ?
हां, मैंने देखा है
वो मेरे पिता के करीब आई थी।
और मुझसे आंखे मिलाकर
कह रही थी,
मैं आऊंगी,
चंद दिनों बाद।
मैंने देखा था
अपने पिताजी का चेहरा
उतरा हुआ सा था,
भरोसे की लकीरें
नाउम्मीदी के बादलों से ढक गयी थी।
हाथ,
जो कभी मज़बूत हुआ करते थे
कांप रहे थे
उन्हें सहारा चाहिए था।
मौत
मेरे आगे खड़ी हंस रही थी।
उस पल,
हंसती-हंसती लौट गयी।
पर पांच महीने बाद लौटी,
और तब तक रोज़
शाम के साथ
जैसे-जैसे अंधेरा होता था
वो करीब आ जाती थी।
फोन की हर घंटी के साथ
दिल धड़क कर एक सवाल पूछता
क्या वो आ गई ?
फिर वो आई..... एक दिन
दबे पांव
जब सब सो रहे थे
और चुपचाप ले गयी
मेरे पिता को,
मेरे सामने।
कुछ नहीं कर सका
उस दिन मैं
मैंने देखा है
हां.... देखा है
मौत को करीब से
बेहद करीब से।।
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