चलो प्रियतम, विदा
चलो प्रियतम, विदा
प्रेम रहे सदा
जीवन तो चलता रहेगा
यात्रा भी
रुक नहीं सकते कदम ।।
अब यादों में
आना-जाना होगा
याद रखना
हंसकर मिलना
मैं भी कोशिश करुंगा
चलो प्रियतम, विदा ।।
जीवन
सफर से कम तो नहीं
हम राही थे
अब बिछड़ना भी होगा
कदम दो कदम चले साथ
इतना भी काफी था
अब उन निशानों पर
देखो धूल जमी है
चलो प्रियतम, विदा ।।
Labels: मेरी रचना
3 Comments:
सून्दर प्रयास। बहुत बहुत बधाई
जीवन
सफर से कम तो नहीं
हम राही थे
अब बिछड़ना भी होगा
कदम दो कदम चले साथ
इतना भी काफी था
अब उन निशानों पर
देखो धूल जमी है
चलो प्रियबहुत अच्छा लिखा है।
Bahut khoob
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