हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Saturday, March 28, 2009

तुम पास ही हो...

तुम्हारा नहीं होना भी
जैसे तुम कहीं हो पास ही
जैसे खून दौड़ रहा है... नसों में
हड्डियां थामे हैं... मेरा मांस
सांस चल रही है... लगातार
आंखों पर पलकें झपक रही हैं
और तुम मेरे मन में
आती-जाती रहती हो ।।

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1 Comments:

At March 28, 2009 at 12:33 PM , Blogger संगीता पुरी said...

बहुत बढिया है ...

 

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