चुनाव के लिए नया लॉलीपॉप
इन दिनों बीजेपी चुनाव के लिए नया लॉलीपॉप तैयार कर रही है... नाम है "बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स"
दावा है कि इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, वैट, एक्साइड ड्यूटी और न जाने क्या क्या... सभी की जगह "बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स" ले लेगा.. सुनने में बहुत मीठा है ये लॉलीपॉप....पर कैसे लागू होगा? कोई नहीं जानता ?
वैसे ये ज्यादती होगी... कि अभी से सवाल खड़े किए जाएं....
पर कुछ तथ्यों पर गौर करना ठीक रहेगा
(इन आंकड़ों में कुछ फेरबदल संभव है)
भारत में सभी तरह के बैंकों की संख्या 170 के करीब है।
80 - क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, 27 - राष्ट्रीय बैंक, 31 - प्राइवेट बैंक, 32 - विदेशी बैंक
इन बैंकों की ब्रांचों की संख्या 53,000 के करीब है, मतलब ये कि औसतम 25,000 लोगों पर सिर्फ एक ब्रांच है।
2005 के एक अनुमान के मुताबिक भारत में सिर्फ 31 करोड़ लोगों के पास ही बैंक खाते थे, जिनमें से कई लोगों के पास दो या इससे ज्यादा खाते भी थे... इस तरह सिर्फ 20 करोड़ लोगों के पास ही बैंक खाते थे... अगर आज आठ साल बाद बैंक खाते दोगुने भी हो गए होंगे.. तो भी करीब 40 करोड़ लोगों के पास ही बैंक खाते होंगे... यानी अभी भी अस्सी करोड़ से ज़्यादा लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं... यानि 65 फीसदी लोगों के पास बैंक खाते नहीं है।
जब बैंक खाते नहीं होंगे... तो "ट्रांजेक्शन" का हिसाब किताब कैसे रखा जाएगा?
जाहिर है ऐसे में "बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स" लगाने में व्यावहारिक दिक्कत आएगी... जाहिर है बीजेपी जो सपना दिखा रही है, वो हाल फिलहाल तो लागू नहीं किया जा सकता।
चुनाव में ऐसी ही सपने केजरीवाल ने भी दिखाए थे।
दावा है कि इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, वैट, एक्साइड ड्यूटी और न जाने क्या क्या... सभी की जगह "बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स" ले लेगा.. सुनने में बहुत मीठा है ये लॉलीपॉप....पर कैसे लागू होगा? कोई नहीं जानता ?
वैसे ये ज्यादती होगी... कि अभी से सवाल खड़े किए जाएं....
पर कुछ तथ्यों पर गौर करना ठीक रहेगा
(इन आंकड़ों में कुछ फेरबदल संभव है)
भारत में सभी तरह के बैंकों की संख्या 170 के करीब है।
80 - क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, 27 - राष्ट्रीय बैंक, 31 - प्राइवेट बैंक, 32 - विदेशी बैंक
इन बैंकों की ब्रांचों की संख्या 53,000 के करीब है, मतलब ये कि औसतम 25,000 लोगों पर सिर्फ एक ब्रांच है।
2005 के एक अनुमान के मुताबिक भारत में सिर्फ 31 करोड़ लोगों के पास ही बैंक खाते थे, जिनमें से कई लोगों के पास दो या इससे ज्यादा खाते भी थे... इस तरह सिर्फ 20 करोड़ लोगों के पास ही बैंक खाते थे... अगर आज आठ साल बाद बैंक खाते दोगुने भी हो गए होंगे.. तो भी करीब 40 करोड़ लोगों के पास ही बैंक खाते होंगे... यानी अभी भी अस्सी करोड़ से ज़्यादा लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं... यानि 65 फीसदी लोगों के पास बैंक खाते नहीं है।
जब बैंक खाते नहीं होंगे... तो "ट्रांजेक्शन" का हिसाब किताब कैसे रखा जाएगा?
जाहिर है ऐसे में "बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स" लगाने में व्यावहारिक दिक्कत आएगी... जाहिर है बीजेपी जो सपना दिखा रही है, वो हाल फिलहाल तो लागू नहीं किया जा सकता।
चुनाव में ऐसी ही सपने केजरीवाल ने भी दिखाए थे।
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