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Saturday, October 14, 2017

ग्लोबल हंगर इंडेक्स : भूख, गरीबी, रोजगार और सरकार की नीति



2017 के सितंबर और अक्टूबर महीने में प्रधानमंत्री मोदी ने कम से कम चार बार गरीबी मिटाने, किसानों की इनकम बढ़ाने और स्वच्छ भारत अभियान को लेकर अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। और उन्होंने आत्मविश्वास से लबरेज होकर इसी महीने कहा कि 2022 तक उनकी सरकार देश से गरीबी दूर करेगी, किसानों की इनकम बढ़ाएगी। 

जब प्रधानमंत्री ने ये बातें कहीं, तो उस वक्त एक बात बिल्कुल साफ थी कि सरकार को देश में व्याप्त गरीबी का अंदाजा है। किसानों की खराब स्थिति के बारे में पता है। और न्यू इंडिया के स्लोगन के नीचे पनप रही अस्वच्छता की जानकारी भी है।
जाहिर है जब देश का प्रधानमंत्री कोई बात कहे, तो इसपर शक करने की वजह नहीं होनी चाहिए। हमें प्रधानमंत्री की बातों पर भरोसा करना चाहिए। और 2022 जैसा कि उन्होंने कहा है - गरीबी मिटा देंगे; किसानों की आय बढ़ा देंगे; और स्वच्छ भारत अभियान को कामयाब बना देंगे। प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के पास ऐसा करने की कोई ठोस नीति जरुर होगी।
11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए भाषण की खबरें


भारत की भूख लगातार बढ़ रही है

लेकिन इसी हफ्ते International Food Policy Research Institute (IFPRI) ने 119 देशों में भूख की स्थिति बताने वाला ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी किया। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति आपको दुख और गुस्से से भर देगी। हम 100वें नंबर पर हैं। यानी 99 देश ऐसे हैं, जहां भूख की स्थिति हमसे बेहतर है। इन 99 देशों में भूखे सोने वाले बच्चों की संख्या हमारे देश से कम है। 
और अगर आप अभी भी दुख और गुस्से में नहीं हैं। आप अभी भी खुश होना चाहते हैं, तो एक दूसरा आंकड़ा भी है। 119 देशों की लिस्ट देखें, तो भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में सबसे खराब स्थिति वाले 19 देशों से बेहतर हैं।
आपकी परेशानी और गुस्से को थोड़ा और बढ़ाते हैं। हंगर ग्लोबल इंडेक्स में भारत की ये स्थिति पिछले साल के मुकाबले खराब हुई है। पिछले साल यानी 2016 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हिंदुस्तान 97वें नंबर पर था। लेकिन एक साल के दौ   रान देश में भूख बढ़ी और हम 100वें नंबर पर पहुंच गए। 
सौजन्य : www.easterneye.eu में  छपी रिपोर्ट का स्क्रीन शॉट

दुनिया में भूख घटी, भारत में बढ़ी

ये हाल तब है, जब International Food Policy Research Institute (IFPRI) की रिपोर्ट में ग्लोबल हंगर इंडेक्स बताता है कि 2017 में दुनियाभर में भूख का स्तर साल 2000 के मुकाबले 27 फीसदी कम हुआ है।
119 देशों की भूख का इंडेक्स तैयार करने वाली संस्था International Food Policy Research Institute (IFPRI) अपनी रिपोर्ट में मुख्यतौर से दो बातें बताती है। पहला भूख के सवाल पर देश की रैंकिंग और दूसरा भूख का निर्धारण करने वाले चार इंडीकेटर्स के आधार पर तैयार किया गया स्कोर।
इस मामले में 2017 चौंकाने वाला साल रहा है। साल 2017 में भारत की ग्लोबल हंगर इंडेक्स में रैंकिंग 100 है, यानी बेहतर से खराब की तरफ बढ़ें, तो हम 100वें नंबर पर हैं। और भारत का ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर 31.4 है। ये स्कोर गंभीर भूख की तरफ इशारा करता है। स्कोर ही वो मानक है जिससे पता चलता है कि किसी देश में भूख की हालत कितनी चिंताजनक है।
(स्कोर का निर्धारण कैसे होता है? नीचे पढ़ें।)

सौजन्य : www.youthkiawaaz.com में छपी खबर का स्क्रीन शॉट

पिछले 4 साल के दौरान भारत में भूख का हाल

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) में 4 साल में भारत की GHI रैंक और GHI स्कोर

Year                GHI Rank                  GHI Score
2017              100                             31.4
2016            97                               28.5
2015              80                               29
2014              55                               17.8

ग्लोबर हंगर इंडेक्स पर फेसबुक से प्राप्त एक पोस्ट

भूख बढ़ने के क्या मायने हैं?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की भूख बढ़ना चिंता की बात है। सरकार भले न माने, सत्ता पर बैठी पार्टी भले न माने, भले ही सरकार के समर्थक न मानें। लेकिन पिछले चार साल के दौरान भारत की रैंक खराब से और खराब की तरफ बढ़ी है। हमारी रैंक खराब होने का सीधा अर्थ है, दूसरे मुल्कों में भूख की स्थिति में काफी सुधार आया है। इसके माने क्या हैं? इसका सीधा माने यही है कि हमारी सरकार भूख कम करने के लिए वो काम नहीं कर सकी, जो दूसरे मुल्कों ने किया।
इससे भी ज्यादा चिंता की बात, ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हमारे स्कोर से निकलकर आती है। भारत की भूख लगातार सामान्य भूख से खौफनाक भूख की तरफ बढ़ रही है। हालांकि अभी हम गंभीर भूख के दायरे में हैं। लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो अगले साल या फिर इससे अगले साल भारत का स्कोर खौफनाक भूख के दायरे में होने पर हैरानी नहीं होनी चाहिए। 

भूख, गरीबी, रोजगार और सरकार की नीति

इसके कुछ और मायने भी हैं। जो सीधे तौर से सरकार की नीतियों से जुड़ रहे हैं। भूख का सीधा मतलब गरीबी से है। गरीबी का मतलब रोजगार और कमाने के साधन से। यानी गरीबी बढ़ी है। रोजगार घटा है। ऐसा सरकार की किस नीति से हुआ होगा? ये विषय शोध का है। लेकिन भूख से शुरू होकर गरीबी और रोजगार तक पहुंची बात चिंता बढ़ाने वाली है।
और यही वो बात है, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री के भाषण के तौर पर मैंने शुरुआत में किया। प्रधानमंत्री गरीबी, किसान और सफाई को अगले पांच साल में दूर करने का भरोसा दिला रहे हैं। वो ये बात तीन साल से भी ज्यादा वक्त से कह रहे हैं, तो क्या ये समझा जाए कि बातें हो रही हैं। काम नहीं।

कैसे होता है देशों की भूख का निर्धारण?

भूख का निर्धारण करने के लिए IFPRI चार कसौटियों पर देशों को कसता है। चार कसौटी पर आधारित स्कोर के आधार पर दुनियाभर के 119 देशों का इंडेक्स तैयार किया जाता है।
एक नजर उन चार कसौटियों (Indicators) पर जिनके आधार पर तय होता है कि कोई देश किस रैंकिंग पर होगा?
पहला, Undernourishment (अल्पपोषण) यानी देश की कितनी आबादी अल्पपोषण की शिकार है। यानी कितनी आबादी का कैलोरी इनटेक अपर्याप्त है।
दूसरा, Child Wasting ‌यानी पांच साल से कम उम्र के बच्चों की लंबाई के हिसाब से उनका वजन कम होना। ये बात बच्चों में अत्यधिक कुपोषण (Acute Under-nutrition) की तरफ इशारा करती है।
तीसरा, Child Stunting यानी पांच साल से कम उम्र के बच्चों की लंबाई उम्र के हिसाब से तय मानकों से कम होना। जो दीर्घकालीन कुपोषण (Chronic Under-nutrition) की तरफ इशारा करती है।
और चौथा, Child Mortality (बाल मृत्यु दर), पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर। बाल मृत्यु दर का ज्यादा होना इशारा करता है कि पोषण की कमी है और अस्वास्थ्यकर वातावरण है।
इन चार Indicators (सूचकों) के आधार पर ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2015 से तैयार हो रहा है। इससे पहले 2006 से 2014 तक हंगर इंडेक्स के निर्धारण का तरीका थोड़ा अलग था। 2015 से पहले Child Stunting और Child Stunting की जगह Child Under-weight को इंडीकेटर के तौर पर लिया जाता था। 2015 में ही हंगर इंडेक्स तैयार करने के लिए चार Indicators (सूचकों) की वैल्यू का एक मानक तय किया गया। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में देशों की रैंकिंग तय करने के लिए इन चार इंडीकेटर्स में पहले और चौथे की हिस्सेदारी एक तिहाई-एक तिहाई है। बाकी बचा एक तिहाई दूसरे और तीसरे को मिलाकर तय होता है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में स्कोर के क्या मायने?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स का स्कोर 100 प्वाइंट स्केल पर तय होता है। इस स्केल में 0 का मतलब नो हंगर से है। और 100 का मतलब बहुत खराब स्थिति से है।
0 से 9.9 स्कोर:  अगर किसी देश का स्कोर 0 से 9.9 तक है, तो इसका मतलब कम भूख (Low) से है।
10 से 19.9 स्कोर: सामान्य भूख (Moderate)
20 से 34.9 स्कोर: गंभीर भूख (Serious)
35 से 49.9 स्कोर: खौफनाक भूख (Alarming)
50 से ज्यादा स्कोर: अत्यधिक खौफनाक भूख (Extreme Alarming)
2017 में ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्कोर 31.4 है। मतलब ये कि भारत गंभीर भूख का शिकार देश हैं। हमारा ये स्कोर खौफनाक भूख (Alarming) से थोड़ा ही बेहतर है। 

Global Hunger Index Score of India  

1992 GHI, 2000 GHI, 2008 GHI, 2017 GHI
Year            1992      2000     2008     2017
GHI Score   46.2      38.2      35.6      31.4

2017 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स पूरा पढ़ें

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