बदले की भावना एक तरह का जहर है !!
टीवी पर स्पाइडरमैन 3 चल
रही थी।
पीटर पार्कर अपनी आंटी से
बात कर रहा है।
आंटी, पीटर पार्कर से जो
कहती है; मुझे लगता है – वहीं धर्म है। वही दर्शन है। वही इंसानियत है।
इन्हीं बातों में मंदिर है। मस्जिद है। गिरजाघर और गुरुद्वारा है।
आंटी ने जो बात फिल्म में कही। वही तो राम का संदेश है। वही अल्ला की आवाज है। उसी में यीशू का मन बसता है।
पीटर पार्कर आंटी की आंखों
में आंखे डालकर कहता है, आंटी – फ्लिंट मार्को, वो आदमी जिसने अंकल की हत्या की थी, वो
कल मारा गया।
आंटी – क्या हुआ?
पीटर पार्कर – स्पाइडरमैन
ने उसे मार दिया।
आंटी – स्पाइडरमैन !!!
मुझे ये बात समझ नहीं आ रही
है, स्पाइडरमैन किसी को नहीं मार सकता !!!
क्या हुआ?
पीटर पार्कर – (झेंपते हुए) मुझे लगा आपको अच्छा लगेगा?
वो यही डिजर्व करता था।
आंटी – मुझे नहीं लगता कि
हम ये फैसला कर सकते हैं कि कोई आदमी जिंदा रहना या मरना डिजर्व करता है।
पीटर पार्कर – पर उसने अंकल को मारा था !!!!
आंटी – तुम्हारे अंकल हमारे
लिए सबकुछ थे।
वो नहीं चाहते थे कि हम बदले की भावना अपने मन
में रखकर एक सेकेंड भी जिएं।
ये एक तरह का जहर है, जो
तुम पर हावी हो जाता है।
जब तक तुम्हें अहसास होता
है, तुम कुछ गलत कर चुके होते हो।
महसूस तो कीजिए, इन शब्दों को। बदले की
भावना एक तरह का जहर है, जो तुम पर हावी हो जाता है। और जब तक अहसास होता है, गलत हो
चुका होता है। सच कहा आंटी ने।
तो इसबार मंदिर से घंटियों की आवाज सुनाई दे; तो घंटियों के बीच के अंतराल में छिपे दर्शन को समझना।
मस्जिद से उठती अजान क्या बतलाना चाहती है, इसे एक पल ठहरकर सोचना।
गिरजाघर से गूंजती प्रार्थना में तुम्हारे लिए क्या संदेश छिपा है, इसे महसूस करना।
बदले की भावना इंसान को इसांन नहीं रहने देती।
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