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Tuesday, July 17, 2018

दंगा : छह कहानियां


बिहार और पश्चिम बंगाल के दर्जनभर शहर और कस्बों में रामनवमी के दिन से हिंसा और उपद्रव की आग लगी है। हिंसा, झड़प और तनाव का सिलसिला एक हफ्ते तक चला। उत्पाती पुलिस के सामने दुकानों में आग लगाई गई। उत्पाती भागते नहीं थे। पुलिस के सामने खड़े होकर पत्थर बरसाते थे। खास संगठन से जुड़े लोग लाठी डंडों तलवारों के साथ पुलिस के सामने हंगामा करते रहे। पर पुलिस कुछ नहीं कर पाई। सरकार हालात के आगे बेबस दिखी। 



दंगे फसाद की इसी पृष्ठभूमि पर छह कहानियां।

(1)
हुजूर, वो हथियारों के साथ जुलूस निकालने की बात कर रहे हैं।
हमने वट्सएप पर देखा है।
उन्हें रोकिए। उनकी मंशा ठीक नहीं है, साहब।
अनहोनी की आशंका से डरे, घबराए लोगों ने गणमान्यों से गुहार लगाई।
हाथ जोड़े। गुजारिश की।
मालिक, वो शहर की आबोहवा खराब कर देंगे।
गणमान्य मुस्कराए। मानो सारी बातें समझ गए थे।
फिर, अपने सेक्रेटरी को आवाज मारी।
सेक्रेटरी पास आया। तो, हल्की आवाज में पूछा।
जुलूस हिंदू निकाल रहे हैं, या मुसलमान?  
 (ये कहानियां आप www.janchowk.com पर भी पढ़ सकते हैं)

(2)
सुबह से ही जुलूस निकलना शुरू हो गया था।
शहर के नए नए जवान हुए लड़कों के सिर पर खास रंग का पटका बांधा गया।
जैसा तय था, धार्मिक जुलूस में हथियार लहराए गए।
लाठी डंडों की कोई कमी नहीं थी। सबसे पास एक एक था।
जोर जोर से नारे लगे।
शाम के वक्त हंगामा होने लगा।
और देखते ही देखते हिंसा शुरू हो गयी।
नुकसान की आशंका से परेशान लोग शहर के गणमान्यों के पास पहुंचे।
हुजूर, वक्त रहते भीड़ पर काबू नहीं पाया गया, तो दंगा हो जाएगा।
गणमान्यों ने अफसरों को बुलाया।
पूछा ये हिंदू हैं या मुसलमान?

(3)
रात होते होते बात बिगड़ गयी।
कहासुनी, पत्थरबाजी में।
पत्थरबाजी, आगजनी में बदल गयी।
नुक्कड़ की दुकानें धू धू जलने लगीं।
आग की लपटें शहर में न फैल जाएं।
इलाके के लोग मदद की उम्मीद के साथ शहर के गणमान्य लोगों के पास पहुंचे।
हुजूर, हालात बहुत खराब हैं।
मदद करें।
गणमान्यों ने पूछा दुकानें हिंदुओं की थी या मुसलमानों की? 

(4)
नुक्कड़ की दुकानें जल चुकी थी।
भीड़ धार्मिक स्थलों की तरफ बढ़ी।
किसी मनचले ने एक पत्थर धार्मिक स्थल की तरफ उछास दिया।
देखते ही देखते पत्थरों की बारिश होने लगी।
लोग भागकर शहर के गणमान्यों के पास पहुंचे।
घबराई आवाज में कहा।
हुजूर, वो धार्मिक स्थल गिरा देंगे।
गणमान्यों में से एक ने पूछा।
आप मंदिर की बात कर रहे हो, या मस्जिद की?

(5)
रात भर दंगाई शहर में घूमते रहे।
घबराए लोग घरों में दुबके रहे।
सुबह एक बार फिर हिंसा शुरू हो गयी।
कुछ लोग जख्मी हो गए।
मुहल्ले के लोग इकट्ठा होकर शहर के गणमान्यों के पास पहुंचे।
मालिक, हमारे बच्चे बुरी तरह जख्मी हैं।
उन्हें बचा लो, मदद करो हमारी।
गणमान्य ने सेक्रेटरी को बुलाया।
कान में कुछ कहा।
लोगों ने बस इतना सुना किस धर्म के हैं?

(6)
दूसरे दिन शाम तक दंगे ने शहर के बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया।
हिंसा में कई लोग घायल हुए। 
एक परिवार का बेटा मारा गया।
पड़ोसी बेटे की आखिरी विदाई की तैयारी कर रहे थे।
इसी वक्त गणमान्य का काफिला पुलिस की सुरक्षा में मुहल्ले के सामने वाली सड़क से गुजरा।
मातम की आवाज के बीच गाड़ियों की रफ्तार धीमी हो गयी।
दूर से ही समझ आ रहा था। जैसे लाश की अंतिम यात्रा की तैयारी हो रही है।
इसबार सेक्रेटरी ने गणमान्य से पूछा।
हुजूर उस घर तक जाएंगे क्या? परिवारवालों से मिलने।
गणमान्य ने पूछा हिंदू है या मुसलमान?

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