हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Saturday, March 28, 2009

रास्ते नहीं बदलते

ये जो ज़िंदगी है

हर रोज़ दिखाती है

नए नए आदमी ।

रास्ते नहीं बदलते

बदलते हैं आदमी ।।

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1 Comments:

At March 28, 2009 at 10:32 PM , Blogger MANVINDER BHIMBER said...

शामियाने शामों के रोज ही सजाये थे....
कितनी उमीदों के मेहमान bulae थे ....
aa के darwaaje से lout गए हो
यूँ भी कोई aaega ....सोचा n था

 

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