हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Saturday, April 4, 2009

ये हाल मेरा पहले न था

जब भी तुम मुझसे बात करती हो
मैं देख नहीं पाता
पर लोग कहते हैं
मेरे चेहरे पर
तेरा अक्स उतर आता है ।।

जब भी तुम पास मेरे रहती हो
मैं सोच नहीं पाता
पर लोग कहते हैं
मेरे ख़्यालों में
तुम ही नज़र आती हो ।।

ये हाल मेरा पहले न था
लोग कहते हैं
तेरे बाद ही
दीवाना सा नज़र आता हूं ।।

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2 Comments:

At April 4, 2009 at 8:22 AM , Blogger Udan Tashtari said...

वाह!! क्या बात है.

 
At October 10, 2010 at 11:42 PM , Blogger Unknown said...

जीतेंद्र जी, प्रिय की याद में खोकर लिखी हुई बहुत बढ़िया रचना है।

 

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