हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Thursday, April 2, 2009

भीड़ तो बहुत है

भीड़ तो शहर में बहुत थी
पर लोग दौड़ रहे थे
दूर कहीं एक दो लोग दिखे
वो सुस्ता रहे थे
मैं भी वहीं बैठ गया
शाम हो गयी
कुछ उठकर चले गए
और....
अब तक देखो हम दो ही हैं ।।

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