एक दिन तो होगी/सुबह मेरी
बार-बार हार कर भी
नहीं हारा इक बार
अभी बाकी है
आस जीत की ।
एक दिन तो होगी
सुबह मेरी....
रोक लूंगा
ढलते सूरज को/ दोपहर में
यही एक बात
मेरी हार नहीं होने देती है
हर बार हार कर भी
मेरी जीत होती है ।।
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बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन
बार-बार हार कर भी
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1 Comments:
प्रेरणादायी है, भाव अच्छे हैं।
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