गुजरात चुनाव और बीजेपी की बेचैनी
जब गुजरात के चुनाव
में डेढ़ महीने से कम का वक्त बचा है। तो ये बात कहने में किसी को कोई शक नहीं
होना चाहिए कि गुजरात के चुनावी रण में नरेंद्र मोदी ही वो इकलौते किरदार हैं, जो अपनी वाक कला से लोगों को अपनी तरफ खींचने का दम रखते हैं। ये कहने में भी
गुरेज नहीं होना चाहिए कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बदली शैली और
बदले अंदाज की बदौलत लोगों से जुड़ रहे हैं। और गुजरात में कांग्रेस के नेताओं की
जो एकजुटता दिखाई पड़ रही है, वो कांग्रेस के लिए प्लस प्वाइंट बन गयी है। यही
वो बातें हैं, जिनकी वजह से बीजेपी अपनी पिच पर उतनी सहज नहीं दिख रही, जितनी वो पिछले तीन चार चुनावों में दिखा करती थी।
सौजन्य : @narendramodi {गांधीनगर में गुजरात गौरव महासम्मेलन} |
गुजरात में बीजेपी की दिक्कत क्या है?
बीजेपी की दिक्कत दो
तीन मोर्चों पर है। पहला, एंटीइनकंबेंसी। दूसरा, पाटीदार-दलित-ओबीसी की नाराजगी। तीसरा, मोदी के केंद्र में जाने के बाद गुजरात में विश्वसनीय चेहरे की कमी। और चौथा, कारोबारी गुजरात को नोटबंदी और जीएसटी से होने वाला नुकसान। बावजूद इसके गुजरात
की इस लड़ाई में बीजेपी कमजोर होकर भी मजबूत है।
बीजेपी का ‘एडवांटेज’ मोदी-शाह
गुजरात में बीजेपी
के पास खेलने के लिए कई पत्ते हैं। बीजेपी के दो बड़े पत्ते नरेंद्र मोदी और अमित
शाह गुजरात के हैं। कांग्रेस के पास गुजरात का ऐसा कोई चेहरा नहीं है। बीजेपी के
पास कार्यकर्ताओं का मजबूत कैडर है। यहां कांग्रेस मात खाती दिखती है। बीजेपी इस
वक्त केंद्र और गुजरात दोनों जगह सत्ता में है, इसका फायदा भी बीजेपी को ही
मिलने वाला है। कांग्रेस के पास ऐसा कोई एडवांटेज नहीं है। कांग्रेस के आरोपों को
सही मान लें, तो चुनाव आयोग ने गुजरात की चुनावी तारीखों का ऐलान नहीं करके
बीजेपी को वो एडवांटेज दे दिया है। अब बीजेपी के पास इस वक्त का इस्तेमाल करने का
बेहतरीन मौका है। गुजरात कुछ बड़े ऐलानों इंतजार कर रहा है।
सौजन्य : @narendramodi {गांधीनगर में गुजरात गौरव महासम्मेलन} |
गुजरात के चुनावी टेस्ट मैच में कांग्रेस का सिक्सर
लेकिन एक बेहद
रोमांचक होने वाले टेस्ट मैच के शुरुआती ओवर में ही कांग्रेस ने बीजेपी को सकते में
डाल दिया। जब कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम ने नरेंद्र मोदी और बीजेपी की उस रग को
दबाया। जिसे नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने ब्रैंड बनाकर ‘गुजरात मॉडल’ कहा। बेहतरीन तरीके से कांग्रेस की सोशल मीडिया
टीम ने ‘विकास गांडो थायो छे’ का स्लोगन उछाला। यानी
विकास पागल हो गया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी के किसी बड़े
नेता से पहले चुनावी कैंपेन सरीखे कार्यक्रम शुरू किए। और उन्होंने ‘विकास पागल हो गया है’ स्लोगन को नया आयाम दिया।
दरअसल कांग्रेस को
जीत की खुशबू इसी सोशल मीडिया कैंपेन के बाद महसूस हुई है। बीजेपी वाले मानें या न
मानें, इसका जबर्दस्त असर हुआ है।
ट्वीटर से प्राप्त, स्क्रीन शॉट #विकास पागल हो गया है |
अमित शाह की बेचैनी को समझिए
सिलसिलेवार तरीके से
समझिए। कांग्रेस के इस सफल कैंपेन के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को
गुजरात जाकर युवाओं से कहना पड़ा, बीजेपी के खिलाफ सोशल मीडिया पर कांग्रेस के
दुष्प्रचार के झांसे में न आएं। सवाल ये है कि अमित शाह को ऐसा कहने की जरुरत
क्यों पड़ी? क्या कांग्रेस का ‘विकास पागल हो गया है’ कैंपेन असर दिखा रहा है।
मोदी का भाषण और इसके मायने
अब कल की ही बात
देखिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में गुजरात गौर महासम्मेलन को
संबोधित किया। बीजेपी ने दावा किया था कि इस रैली में सात लाख बीजेपी कार्यकर्ता
पहुंचेगे। सात लाख लोग आए या नहीं, ये पता नहीं। पर रैली में भीड़ अच्छी रही।
नरेंद्र मोदी इस रैली में करीब पौना घंटा बोले। जैसा कहा गया है कि नरेंद्र मोदी
मौजूदा दौर में भाषण देने की कला में सबसे बेहतर हैं। तो उनका पौना घंटे का भाषण
आक्रामक था। उन्होंने विरोधियों पर तीखे हमले किए। और वो मीडिया की सुर्खियों में
छा गए।
ट्वीटर से प्राप्त, स्क्रीन शॉट #विकास पागल हो गया है |
मोदीजी को कौन सा संकट नजर आ रहा है
लेकिन मेरा ध्यान
कुछ ऐसे बिंदुओं पर गया, जिनकी चर्चा न टीवी चैनल्स ने की। और न ही आज के
अखबारों ने। नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में बीजेपी कार्यकर्ताओं को
संबोधित करते हुए एक बात कही। उन्होंने क्या कहा? पहले ये देखिए। “ लोग आपकी ताकत जानते हैं, या नहीं जानते। मुझे पता नहीं? लेकिन मैं भाजपा के हर सिपाही के सामर्थ्य को भली भांति जानता हूं,
उस सामर्थ्य को समझता हूं। और
संकट की हर घड़ी में गुजरात भारतीय जनता पार्टी के छोटे से छोटे सिपाही ने
भूतकाल में कैसे कैसे संकट झेले हैं? कैसे कैसे जुल्म सहे हैं?” (नरेंद्र मोदी, गांधीनगर के भाषण का एक अंश, 16 अक्टूबर)
प्रधानमंत्री किस संकट की तरफ इशारा कर रहे हैं। वो कार्यकर्ताओं को किस संकट
के बारे में बताना चाहते हैं। ये सवाल तो उठता ही है।
भ्रम में क्यों फंसेगा विकास का गुजरात मॉडल ?
एक और बात जो नरेंद्र मोदी ने इस भाषण में कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस
पार्टी एक भ्रम फैला रही है। गुजरात को लोगों को इस भ्रम से बचना है। ये सवाल
क्यों न पूछा जाए कि नरेंद्र मोदी का विकास का गुजरात मॉडल क्या इतना खोखला
है कि कोई भी गुजरातियों की आंखों में धूल झोंक देगा? क्या गुजराती इतने भोले
हैं कि उन्हें बिना गड्ढों वाली सड़क दिखेगी। और वो सोशल मीडिया की तस्वीरें देखकर
मान लेंगे कि जिस चकाचक सड़क से वो थोड़ी देर पहले गुजरे थे, वो गड्ढों से भर गयी है।
क्या गुजरात के चतुर बनिए इतने नासमझ हैं कि उनका कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी
तरक्की कर रहा है। और वो कांग्रेस के किसी नेता की बातों में आकर ये मान लेंगे कि
उनका मुनाफा घट गया है। और क्या गुजरात के लड़के और लड़कियां इतने भी पढ़े लिखे
नहीं हैं कि वो नौकरी कर रहे हों। और कोई आकर कह दे कि तुम बेरोजगार हो, वो झट से मान लेंगे।
क्या कोई भी आकर नरेंद्र मोदी की कड़ी मेहनत से तैयार गुजरात मॉडल की हंसी
उड़ा सकता है। और क्या लोग आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हैं कि बेमतलब की बातों पर तालियां
बजाएंगे। ऐसे गुजारत के लोगों को कौन भ्रम में डालने की कुव्वत रखता है? वो भी चुनाव के दो तीन
महीने में।
जाहिर है सड़कों पर गड्ढे हों। बेरोजगारी का आलम हो। कारोबार सुस्त चल रहा हो।
और विकास का सिर्फ प्रचार किया गया हो। तभी कोई नेता ‘विकास पागल हो गया है’ कहेगा, तो लोग सच मानेंगे।
विकासवाद का नारा, पर विकास का जिक्र नहीं
इस भाषण में नरेंद्र मोदी ने एक और बात कही। उन्होंने कांग्रेस पर वंशवाद का
आरोप लगाया। और खुद को विकासवाद का झंडाबरदार बताया। अपने पौना घंटे के भाषण में
नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर लंबा बोले। लेकिन उन्होंने विकास की एक भी योजना का
जिक्र नहीं किया।
सौजन्य: दैनिक भास्कर वेबसाइट की एक खबर का स्क्रीन शॉट |
सकारात्मक राजनीति का स्लोगन और निगेटिव हमले
नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर निगेटिव पॉलिटिक्स करने का आरोप लगाया। और खुद को
सकारात्मक राजनीति का लीडर। लेकिन अपने पौना घंटे के भाषण में नरेंद्र मोदी आधे से
ज्यादा वक्त तक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कोसते रहे। वो राहुल गांधी से
सोनिया गांधी और फिर मरहूम राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, जवाहर लाल नेहरू तक पहुंच गए।
सौजन्य: @officeOfRG {गुजरात की एक रैली} |
विरोधी कमजोर है, तो वो दिखेगा… कहना क्यों पड़ा?
नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में एक और बात कही। उन्होंने कहा कि लोग कांग्रेस
को मजबूत बता रहे हैं, तो
फिर लोग बताएं कि उनके विधायक चुनाव से पहले कांग्रेस को छोड़कर क्यों चले गए? नरेंद्र मोदी की ये बात
सही है, कांग्रेस मजबूत थी तो
ऐसा क्यों हुआ? लेकिन
नरेंद्र मोदी अपने कैडर के सामने ये क्यों बता रहे हैं कि कुछ लोग कांग्रेस को
मजबूत समझने की गलती कर रहे हैं?
नरेंद्र मोदी की इस बात में दो बातें छिपी हो सकती हैं। पहला, गुजरात में ऐसे लोग हैं, जो कह रहे हैं कि
कांग्रेस मजबूत है। और दूसरा, कांग्रेस दो दशक से गुजरात में बैठी बीजेपी को टक्कर देने
का दमखम रखती है। एक बात को समझने की कोशिश करिए। देश का प्रधानमंत्री नरेंद्र
दामोदरदास मोदी, वो
शख्स नहीं हैं, जो
किसी आम आदमी की बात को गंभीरता से लेंगे और फिर इस आधार पर अपने सात लाख
कार्यकर्ताओं के सामने पूरे गुजरात को एक मैसेज देंगे कि “कांग्रेस मजबूत नहीं है”।
नरेंद्र मोदी जब इस बात को जोर देकर कह रहे हैं कि कांग्रेस मजबूत होती तो
उसके विधायक साथ क्यों छोड़ते? तो क्या आपको ऐसा नहीं लग रहा है कि नरेंद्र मोदी अपने
लाखों कार्यकर्ताओं के साथ साथ खुद को भी एक मैसेज दे रहे हैं कि कांग्रेस मजबूत
नहीं है। क्या गुजरात में कांग्रेस इतनी मजबूत है कि नरेंद्र मोदी को ऐसा कहना
पड़ा।
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