प्रधानमंत्री जी, स्कूल बस में बैठे बच्चों की चीख सुनी क्या?
प्रिय प्रधानमंत्री
जी,
पहले सोचा चुप ही
रहूं। मेरी कौन सुनेगा? दरअसल मुद्दा ही ऐसा है। जब इस मामले में चार
चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मौन साध रखा है। तो मेरे कहने से क्या होगा? लेकिन कल कुछ ऐसी तस्वीरें देख ली हैं, जो परेशान कर रही हैं।
प्रिय प्रधानमंत्री
जी, टेलीविजन न्यूज़ चैनल तो आप भी देखते होंगे? दो महीने से भी ज्यादा हो गया है, एक फिल्म को लेकर कुछ लोग लगातार उत्पात मचा रहे हैं। आपने जरुर देखा होगा।
वैसे आप बहुत व्यस्त रहते हैं, इसलिए शायद टीवी पर न देख सके हों। पर
प्रधानमंत्री जी, अखबार तो जरुर पढ़े होंगे आपने। मैंने सुना है, आप देश परदेस की हर खबर पर आंख कान रखते हैं। संभव है अखबार भी छूट गए हों, तो मुझे उम्मीद है आपने सोशल मीडिया में ऐसी खबरों के बारे में जरुर सुना
होगा। लोग बताते हैं कि आप सोशल मीडिया में बहुत एक्टिव हैं।
प्रिय प्रधानमंत्री
जी, दरअसल बात ऐसी है कि फिल्म पद्मावती, जिसे अब पद्मावत कर दिया गया है। इसे लेकर पिछले एक महीने से कुछ लोगों ने
तूफान उठा रखा है। अपने यहां खुली डेमोक्रेसी है। जाहिर है जो हम सोचते हैं, विचारते हैं, वो हम खुलकर कह सकते हैं। तो इस लिहाज से फिल्म
पद्मावत का विरोध कर रहे लोग अपने अधिकार का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रधानमंत्री
जी, मुझे इसमें कतई आपत्ति नहीं है।
लेकिन आपको बता दूं, एक फिल्म का विरोध अब यहां तक पहुंच गया है कि करणी सेना के लोग सुप्रीम कोर्ट
की तौहीन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी,
ये बताते हुए बहुत दुख हो
रहा है कि चार चार राज्यों की पुलिस असहाय सी खड़ी होकर इन्हें तोड़फोड़ करते, आग लगाते देख रही है। प्रधानमंत्री जी, दुख इस बात का भी है कि एक
महान योद्धा रानी पद्मावती के लिए जिस प्रोटेस्ट की शुरुआत हुई। अब वो हिंसक हो
गया है।
प्रधानमंत्री जी, आपसे ये बात कहना मुनासिब रहेगा। क्योंकि लड़कियों के हित में जो योजनाएं आप
लाएं हैं, उनकी बड़ी चर्चा है। आप बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देते हैं। प्रधानमंत्री जी, आज इन बेटियों को खुलेआम
धमकी दी जा रही है। और प्रधानमंत्री जी, आपको दुखी होना चाहिए कि बेटियों
की नाक, सिर काटने की धमकी देने वालों पर सरकार कोई एक्शन नहीं ले
रही। प्रधानमंत्री जी, ये एक राज्य की बात नहीं है। तीन राज्यों में एक
ऐसी बेटी को धमकाया गया, जो देश का नाम रोशन कर रही है। लेकिन राज्य की
सरकारों ने कोई ऐसी प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे साफ साफ और सख्त
मैसेज जाता हो।
प्रधानमंत्री जी, अगर आपको इन धमकियों के बारे पता नहीं चल पाया। तो मैं आपको संक्षेप में बता
दूं। उत्तर प्रदेश में इस वक्त आपकी पार्टी की सरकार है। और जैसा आप कहते हैं, वहां पर युवा और उर्जावान सीएम योगी आदित्यनाथ की सत्ता है। प्रधानमंत्री जी, इसी युवा और ऊर्जावान सीएम की आंख के नीचे मेरठ के एक अनजान शख्स ने पद्मावत
फिल्म की अभिनेत्री दिपिका पादुकोण की गर्दन काटने पर 5 करोड़ रुपये का इनाम रखा। प्रधानमंत्री जी, यही शख्स अब आपकी सरकार को
उखाड़ फेंकने की धमकी भी दे रहा है। प्रधानमंत्री जी, एक सवाल बार बार मन में उठ रहा है। क्या आप युवा और ऊर्जावान सीएम से ये नहीं
पूछेंगे कि कानून से बंधे राज्य में उन्होंने इस धमकी देने वाले
बदमाश के खिलाफ क्या एक्शन लिया है?
प्रधानमंत्री जी, मेरठ के इस व्यक्ति की बात को आप खारिज कर सकते हैं। क्योंकि इसका आपकी पार्टी
से कोई लेनादेना नहीं है। लेकिन हरियाणा में क्या हुआ? शायद आप जानना चाहें। हरियाणा बीजेपी के मीडिया कोर्डिनेटर रहे एक शख्स ने
दिपिका पादुकोण की गर्दन काटने पर 10 करोड़ रुपये का इनाम रखा। आपकी पार्टी ने इस
शख्स को बाहर कर दिया। प्रधानमंत्री जी, शायद आप हरियाणा के सीएम से पूछना चाहें कि दिपिका को खुली धमकी देने वाले के खिलाफ
अबतक क्या सख्त एक्शन हुए हैं?
प्रधानमंत्री जी, राजस्थान में भी आपकी पार्टी का राज है। आप अगर पता करना चाहेंगे, तो आपको नाम पता चलेंगे। यहां भी करणी सेना के उत्पाती
लोगों ने दिपिका पादुकोण और फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को कब्र में
डालने की धमकी दी। बीजेपी पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेता होने के नाते ये आपका
कर्तव्य है कि आप राजस्थान की सीएम से पूछें कि क्या एक्शन लिया गया?
प्रधानमंत्री जी, मैंने जिन घटनाओं का जिक्र किया, उनमें आप कोई जानकारी लेना चाहें या नहीं। ये
आपकी मर्जी है। क्योंकि ये सीधे सीधे मुझसे नहीं जुड़ती। लेकिन जिस घटना का मुझपर
सीधा असर पड़ रहा है। उस मामले में मैं आपसे मांग करना चाहूंगा कि आप एक्शन लें।
आप जानना चाहेंगे कि वो घटना कौन सी है?
प्रधानमंत्री जी, जैसा मैंने शुरुआत में कहा था। मैंने कल कुछ ऐसी तस्वीरें देख ली हैं, जो परेशान कर रही हैं। इसके केंद्र में भी करणी सेना के उत्पाती हैं। प्रधानमंत्री जी, दुख की बात है कि ये घटना भी बीजेपी की सरकार वाले राज्य की
ही है। आपके घर 7, लोक कल्याण मार्ग से बमुश्किल 50 किलोमीटर दूर गुरुग्राम
में कल जो हुआ, शायद आपको उसके बारे में ज्यादा बताने की जरुरत नहीं है।
प्रधानमंत्री जी, अखबार में छपा है कि करणी सेना के लोगों ने एक स्कूल बस पर पत्थर बरसाए। बस
में बच्चे बैठे थे, बच्चों पर भगवान श्रीराम का आशीर्वाद था। जो
स्कूल बस के शीशे तोड़ने वाला पत्थर शीशे के पार बैठे बच्चों को नहीं लगा। सोचिए, वो पत्थर किसी बच्चे के माथे पर लग जाता तो क्या होता?
प्रधानमंत्री जी, मेरी परेशानी को शायद आप समझ पाएं। मेरा भी एक चार साल का बेटा है। वो स्कूल
बस से आता जाता है। ये ठीक है कि हम गुरुग्राम में नहीं रहते। लेकिन करणी सेना के
लोग तो मेरे शहर में भी हैं। मैं ये सोचकर परेशान हूं, प्रधानमंत्री जी कि अगर ये मेरे शहर में हुआ होता, तो क्या होता? उस बस में मेरा बेटा भी तो हो सकता था। जब करणी
सेना के लोग पत्थर फेंक रहे थे, बस के अंदर बच्चे रो रहे थे। बच्चों की वो चीख
सुनी क्या आपने, प्रधानमंत्री जी?
एक झूठी शान। एक
कपोल कल्पना को विरासत का नाम देकर चंद मुट्ठी भर लोग देश की सबसे बड़ा अदालत, चार चार राज्यों की सरकारों को ठेंगा दिखा रहे हैं। पर दुख से कहना पड़ता है
प्रधानमंत्री जी, सत्ता में बैठे लोग मौन हैं।
सच में दुख होता है
प्रधानमंत्री जी। बोलने का कोई मौका आप छोड़ते नहीं हैं। अपने मन की बात कहने के
लिए आपके पास एक प्रभावी भाषा और प्रभावी शैली है। पूरी दुनिया कहती है कि आप जैसा
वक्ता कई साल बाद आया है। आपकी पार्टी के लोग ही नहीं विरोधी भी आपकी इस प्रतिभा
के कायल हैं। आपकी वक्ता शैली का मोहपाश ऐसा है कि आपकी पार्टी के लोग तो भूल ही
गए हैं कि 14 साल पहले तक आपकी पार्टी में अटल बिहारी वाजपेयी भी थे। तो इन सब
स्थितियों में वो कौन सी बात है, प्रधानमंत्री जी… जो आपको दो महीने से चल
रही गुंडागर्दी पर एक शब्द बोलने से रोक रही है।
प्रधानमंत्री जी, मेरी दोनों हाथ जोड़कर आपसे प्रार्थना है। अब इस विवाद पर बोलिए। कहिए करणी
सेना के उत्पाती लोगों से कि वो गुंडागर्दी छोड़ें। देश के कानून का सम्मान करें।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मान रखें। और समझाइएगा अपनी राज्यों की सरकारों को कि
उत्पात मचाने वाली भीड़ के आगे नतमस्तक नहीं हुआ जाता, उसे कानून के हिसाब से नियंत्रित किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री जी, आप बोलिए। आपकी बातों को देश गौर से सुनता है। उसपर अमल करता है।
आपके देश का एक नागरिक
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