मोदी को हारने के लिए किसी विपक्ष की जरुरत नहीं है...
अगर लोकसभा चुनाव तय वक्त पर हुए, तो अब सिर्फ 12 महीने का वक्त बचा है। लेकिन जैसी चर्चाएं हैं, मोदी सरकार लोकसभा चुनाव चार राज्यों के
विधानसभा चुनाव के साथ करा सकती है। तो ऐसे में लोकसभा चुनाव छह महीने बाद कभी भी हो सकते हैं।
लोकसभा चुनाव, और कई सवाल
ऐसे में उन सवालों पर चर्चा जरुरी है, जो आम लोगों के मन में भी उठ रहे होंगे। मसलन अगले लोकसभा चुनाव में क्या होगा? क्या मोदी फिर से 7 लोक कल्याण मार्ग पहुंचेंगे? क्या अगला लोकसभा चुनाव 2014 की तरह मोदी के लिए आसान होगा? क्या राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस मोदी को वो टक्कर दे पाएगी, जिससे उनका रथ इंद्रप्रस्थ में दूसरी बार प्रवेश न कर सके? या इस बार विपक्ष एकजुट होकर मोदी के नेतृत्व में एनडीए को टक्कर दे सकेगा? और उनके विजय रथ के पहिए थाम लेगा।
ऐसे में उन सवालों पर चर्चा जरुरी है, जो आम लोगों के मन में भी उठ रहे होंगे। मसलन अगले लोकसभा चुनाव में क्या होगा? क्या मोदी फिर से 7 लोक कल्याण मार्ग पहुंचेंगे? क्या अगला लोकसभा चुनाव 2014 की तरह मोदी के लिए आसान होगा? क्या राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस मोदी को वो टक्कर दे पाएगी, जिससे उनका रथ इंद्रप्रस्थ में दूसरी बार प्रवेश न कर सके? या इस बार विपक्ष एकजुट होकर मोदी के नेतृत्व में एनडीए को टक्कर दे सकेगा? और उनके विजय रथ के पहिए थाम लेगा।
सौजन्य: google सर्च में abhisays.com से प्राप्त |
ये तमाम सवाल हैं, जिनके बारे में भविष्यवाणी करना मुमकिन नहीं है। न इन सवालों पर अनुमान लगाने का जोखिम लिया जा सकता है। जोखिम लेना ठीक भी नहीं है। वो इसलिए, क्योकि अक्सर कहा जाता है कि राजनीति और क्रिकेट में भविष्यवाणी करना ठीक नहीं है, क्योंकि ये दो ऐसे खेल हैं, जहां कभी भी कुछ भी हो सकता है। तो इस लेख में अनुमान या भविष्यवाणी करने का कोई इरादा नहीं है। सच बात ये है कि इस लेख में मैं आपके सामने कुछ सवाल खड़े करना चाहता हूं, जवाब आपको ही तलाशने होंगे।
अजेय मोदी को हारने के लिए किसी और से नहीं लड़ना !
आम बातचीत में मेरे कई मित्र अक्सर कहते हैं कि मोदी अजेय हैं। और 2019 में वो दोबारा सत्ता संभालेंगे। ऐसे लोगों का कहना है कि मोदी को रोकने के लिए विपक्ष के पास कोई चेहरा नहीं है। इस पूरी बात में से मैं एक बात पर बिल्कुल सहमत हूं। विपक्ष के पास मोदी की तरह लड़ने वाले जुझारु नेता की कमी है। पर वो अजेय हैं, और कभी नहीं हारेंगे। मैं इसे नहीं मान सकता। क्योंकि ऐसी बातें इतिहास में कई नेताओं के लिए कही जा चुकी हैं। पर जब जब ऐसा कहा गया, गलत साबित हुआ। इसके उलट मेरा मानना है कि मोदी को हारने के लिए किसी विपक्ष की जरुरत नहीं है। संभव है कई लोग मेरी इस बात से सहमत न हों। लेकिन मैं फिर कहूंगा, मोदी को हारने के लिए किसी विपक्ष की जरुरत नहीं है। यहां मैंने ‘हारने’ शब्द का इस्तेमाल बहुत सोच समझकर किया है। और यही बात मेरे इस लेख का सेंट्रल आइडिया भी है।
सौजन्य : scroll.in |
दरअसल मोदी हार से बचने या कहें जीतने के लिए वो करना होगा। जो नामुमकिन तो नहीं है, लेकिन आसान भी नहीं है। हार को खुद से दूर रखने के लिए मोदी को 2014 जैसा प्रदर्शन दोहराना होगा। लोग कह सकते हैं, ये मुश्किल काम तो नहीं। लेकिन आंकड़े देखेंगे, तो असली तस्वीर समझ में आएगी।
इन आंकड़ों को छूना, नामुमकिन नहीं… पर मुश्किल है
दरअसल मोदी की लीडरशिप में 2014 के चुनाव में बीजेपी ने अकेले अपने दम पर 282 सीटें जीती। एनडीए के दूसरे सहयोगियों की सीटें इसमें जोड़ दें, तो ये आंकड़ा 336 सीटों पर पहुंच जाता है।
इस करिश्माई आंकड़े के बावजूद, जब मैंने कहा कि मोदी को हारने के लिए किसी विपक्ष की जरुरत नहीं है। तो फिर इन तथ्यों पर गौर करना जरुरी हो जाता है।
दरअसल मोदी की लीडरशिप में 2014 के चुनाव में बीजेपी ने अकेले अपने दम पर 282 सीटें जीती। एनडीए के दूसरे सहयोगियों की सीटें इसमें जोड़ दें, तो ये आंकड़ा 336 सीटों पर पहुंच जाता है।
इस करिश्माई आंकड़े के बावजूद, जब मैंने कहा कि मोदी को हारने के लिए किसी विपक्ष की जरुरत नहीं है। तो फिर इन तथ्यों पर गौर करना जरुरी हो जाता है।
पहला, मोदी के नेतृत्व में एनडीए का 336 के आंकड़े में 14 राज्यों की बड़ी भूमिका रही। इन 14 राज्यों में एनडीए को 284 सीटें मिली। जिसमें से अकेले बीजेपी ने 258 सीटें जीती। एनडीए में शामिल बीजेपी की सहयोगी पार्टियों ने 26 सीटें जीती। विपक्ष सिर्फ 38 सीट जीत सका। (तालिका नंबर 1)
तालिका नंबर 1
बीजेपी
फेवरेबल स्टेट
(वो राज्य जहां
बीजेपी को जबर्दस्त कामयाबी मिली)
राज्य
|
कुल सीट
|
बीजेपी
|
बीजेपी पार्टनर
|
एनडीए
|
विपक्ष
|
14
|
322
|
258
|
26
|
284
|
38
|
दूसरा, जिन 14 राज्यों की मैं बात कर रहा हूं। उनमें भी तीन तरह के राज्य शामिल हैं।
एक, वो पांच राज्य जहां की सभी 67 सीटें बीजेपी ने
जीत ली। यहां विपक्ष को एक
भी सीट हासिल नहीं हो पाई। बीजेपी ने अपने दम पर सारी की सारी सीटें जीती। (तालिका नंबर 2)
तालिका नंबर 2
पांच राज्य : 100% कामयाबी
(वो राज्य जहां बीजेपी सभी सीटें जीत गयी)
राज्य
|
कुल सीट
|
बीजेपी
|
बीजेपी पार्टनर
|
एनडीए
|
विपक्ष
|
5
|
67
|
67
|
0
|
67
|
0
|
तीसरा, 6 वो राज्य जहां की 192 में से 150 सीटें बीजेपी ने जीती। जबकि इन्हीं में से 20 सीटें बीजेपी की सहयोगी पार्टियों ने जीती। मतलब ये कि इन 6 राज्यों में एनडीए को विपक्ष के खाते में सिर्फ 22 सीटें ही आ पाई। (तालिका नंबर 3)
तालिका नंबर 3
6 राज्य : जबर्दस्त कामयाबी
(वो राज्य जहां
बीजेपी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, और 88.54% सीटें एनडीए ने जीती)
राज्य
|
कुल सीट
|
बीजेपी
|
बीजेपी पार्टनर
|
एनडीए
|
विपक्ष
|
6
|
192
|
150
|
20
|
170
|
22
|
चौथा, एनडीए के आंकड़े को 336 तक ले जाने में उन तीन राज्यों की भी बड़ी भूमिका रही, जिसकी 93 सीटों में से एनडीए ने 65 सीटें जीती। (तालिका नंबर 4)
तालिका नंबर 4
तीन राज्य : बहुत अच्छा
प्रदर्शन
(वो राज्य जहां बीजेपी ने अच्छी सीटें जीती, साथ ही बीजेपी की सहयोगी पार्टियों का भी अच्छा प्रदर्शन
रहा)
राज्य
|
कुल सीट
|
बीजेपी
|
बीजेपी पार्टनर
|
एनडीए
|
विपक्ष
|
3
|
93
|
41
|
24
|
65
|
28
|
जब आप इन तथ्यों की और गहराई में जाएंगे। तो आपको चौंकाने वाली बातें पता चलेंगी। जैसे देश के सिर्फ 11 राज्यों की 259 सीटों में से अकेले बीजेपी ने 219 सीटें जीत ली थी। इसी आंकड़े में छिपी है, मोदी को मोदी द्वारा ही हराने की कहानी।
पहले आप उन 11 राज्यों पर एक नजर डालिए। जिनकी 259 सीटों में से बीजेपी ने 219 सीटें जीती। इन 11 राज्यों में गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और हरियाणा शामिल हैं।
इन 67 सीटों को फिर से कैसे जीतेगी
बीजेपी?
इस लिस्ट के पहले पांच यानी गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश वो राज्य
हैं, जहां की सभी 67 सीटें बीजेपी ने जीती थी। अब यहां अनुमान लगाइए, क्या बीजेपी के लिए गुजरात की सभी 26 सीटें जीतना, 2014 की तरह मुमकिन होगा? राजस्थान में तीन सीटों पर उपचुनाव के बाद कौन इस बात
का जोखिम लेगा कि 2019 में जब लोकसभा चुनाव होंगे, तो 2014 की तरह एकबार फिर से मोदी लहर चलेगी, और राजस्थान की सभी 25 सीटें बीजेपी की झोली में आ जाएंगी। क्या आपमें से कोई है, जो ताल ठोककर कह सकता है कि दिल्ली की 7, उत्तराखंड की 5 और हिमाचल प्रदेश की 4 लोकसभा सीटों में सारी की सारी बीजेपी जीतने वाली है। (नीचे तालिका देखें)
पांच राज्य : कुल 67 सीटें, 100% कामयाबी
राज्य
|
कुल सीट
|
बीजेपी
|
विपक्ष
|
|
1
|
गुजरात
|
26
|
26
|
0
|
2
|
राजस्थान
|
25
|
25
|
0
|
3
|
दिल्ली
|
7
|
7
|
0
|
4
|
उत्तराखंड
|
5
|
5
|
0
|
5
|
हिमाचल प्रदेश
|
4
|
4
|
0
|
बीजेपी पांच राज्यों की 67 सीटों में से कितनी भी जीते, मगर एक बात तो बिल्कुल साफ है कि वो 2014 की तरह सभी 67 सीटें जीतने की स्थिति में अब नहीं है। एकबात और साफ है कि इन पांच राज्यों में विपक्ष जितनी भी सीटे जीतेगा, वो एनडीए के आंकड़े को कम ही करेगा।
192 सीटों में से 170 जीतना क्या फिर से मुमकिन है?
इसी तरह लिस्ट के अगले 6 नामों पर गौर कीजिए, ये राज्य हैं उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और हरियाणा। ये बड़े राज्य हैं। इनकी सभी सीटों को जोड़ लें, तो ये राज्य अहम भी हैं। इन 6 राज्यों में कुल 192 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी ने 2014 में 150 जीत ली थी।
इन 6 राज्यों में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दो ही राज्य हैं, जहां बीजेपी और कांग्रेस सीधे मुकाबले में हैं। मध्य प्रदेश की 29 में से 27 सीट और छत्तीसगढ़ की 11 में से 10 सीट पर 2014 की मोदी लहर में बीजेपी जीती थी। इस सवाल का जवाब आप खुद तलाशिए कि क्या इन दोनों राज्यों में बीजेपी के लिए 2014 को दोहराना मुमकिन हो पाएगा? (नीचे तालिका देखें)
इन 6 राज्यों में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दो ही राज्य हैं, जहां बीजेपी और कांग्रेस सीधे मुकाबले में हैं। मध्य प्रदेश की 29 में से 27 सीट और छत्तीसगढ़ की 11 में से 10 सीट पर 2014 की मोदी लहर में बीजेपी जीती थी। इस सवाल का जवाब आप खुद तलाशिए कि क्या इन दोनों राज्यों में बीजेपी के लिए 2014 को दोहराना मुमकिन हो पाएगा? (नीचे तालिका देखें)
6 राज्य : 192 सीटें, जबर्दस्त कामयाबी
(वो राज्य जहां
बीजेपी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, और 88.54% सीटें एनडीए ने जीती)
राज्य (सीट)
|
BJP
|
BJP पार्टनर
|
NDA
|
विपक्ष
|
|
1
|
यूपी (80)
|
71
|
2
|
73
|
7
|
2
|
महाराष्ट्र (48)
|
23
|
18
|
41
|
7
|
3
|
एमपी (29)
|
27
|
0
|
27
|
2
|
4
|
झारखंड (14)
|
12
|
0
|
12
|
2
|
5
|
छत्तीसगढ़ (11)
|
10
|
0
|
10
|
1
|
6
|
हरियाणा (10)
|
7
|
0
|
7
|
3
|
बाकी चार बड़े राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में चौतरफा या त्रिकोणीय मुकाबला होता है। यूपी में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ 80 में से 73 सीटें जीत ली थी। ये एक इतिहास था। फिर सवाल तो पूछना पड़ेगा कि क्या बीजेपी इस आंकड़े को फिर से दोहरा सकती है? महाराष्ट्र की 48 सीटों में भी यही स्थिति है। जहां एनडीए के खाते में 48 में से 41 सीटें गयी थी। अब जबकि शिवसेना तेवर दिखा रही है। और एकबार फिर से कांग्रेस और शिवसेना एकजुट हैं। तो क्या 48 में से 41 का आंकड़ा छूना मुमकिन होगा?
अब उन तीन राज्यों की बात करते हैं। जहां बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ मिलकर मजबूत है, और जहां विपक्ष की भी बराबर की ताकत है। इन तीन राज्यों में कर्नाटक, बिहार और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। इन तीन राज्यों में कुल 93 लोकसभा सीटें हैं। 2014 में यहां बीजेपी और एनडीए में शामिल सहयोगी पार्टियों ने 65 सीटें जीत ली थी। (नीचे तालिका देखें)
तीन राज्य : 93 सीटें
राज्य (सीट)
|
BJP
|
BJP पार्टनर
|
NDA
|
विपक्ष
|
|
1
|
कर्नाटक (28)
|
17
|
0
|
17
|
11
|
2
|
बिहार (40)
|
22
|
9
|
31
|
9
|
3
|
आंध्र प्रदेश (25)
|
2
|
15
|
17
|
8
|
2014 से अलग दिख रहे हैं हालात
2014 के चुनाव के बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी काफी सीरियस प्लेयर बन गयी।
और अब कांग्रेस की स्थिति 2014 से काफी बेहतर है।
राजस्थान की 25 सीटों पर भी कांग्रेस की स्थिति 2014 से तो बेहतर ही है। दो
लोकसभा और एक विधानसभा के उपचुनाव के रिजल्ट भी यही कह रहे हैं।
जानकार बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की अब वो पकड़ नहीं
रही है। जिसके दम पर वो प्रदेश की 29 सीटों पर फिर से 2014 वाला आंकड़ा दोहरा
सकें। वो भी तब, मध्य प्रदेश में
किसानों का गुस्सा खुलकर दिख रहा है।
महाराष्ट्र में शिवसेना तेवर दिखा रही है। उद्धव अभी से अलग लड़ने का ऐलान कर
चुके हैं। जबकि कांग्रेस और एनसीपी एकजुट होकर लड़ने का इशारा दे रहे हैं। यानी
महाराष्ट्र की 48 सीटों पर विपक्ष बीजेपी को 2014 के मुकाबले कहीं कड़ा मुकाबला
देने की स्थिति में है। छत्तीसगढ़ की 11 सीटों पर भी पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश
जैसी स्थिति दिख रही है।
हरियाणा में बीजेपी की सरकार का वैसा इकबाल नहीं रहा। जैसा 2014 में था। लोग
कह रहे हैं कि यहां भी बीजेपी को झटका तो लगेगा ही।
सबसे अहम मैदान उत्तर प्रदेश का रहेगा। जहां इस बात की अटकलें हैं कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीएसपी मिलकर चुनाव मैदान में आ सकते
हैं। अगर ऐसा हुआ, तो बीजेपी के लिए आसानी
नहीं होगी।
ये वो रण है, जहां बीजेपी के
सामने 250 सीटें पड़ी होंगी। और उसे 2014 वाला करिश्मा करने के लिए इनमें से
ज्यादातर पर कब्जा जमाना होगा। पर मौजूदा हालात ऐसा इशारा नहीं कर रहे हैं।
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