हिमाल : अपना-पहाड़

बस एक कामना, हिम जैसा हो जाए मन

Wednesday, February 14, 2018

राजा की नाव और उफनती नदी में साफ पानी



सर्दियों की गुनगुनी सुबह उन्हें ख्याल आया कि वो अपने प्रिय राज्य के बीच से गुजरने वाली नदी में नाव की सवारी करेंगे। राजा की इच्छा की जानकारी मंत्रियों को हुई, तो तुंरत नदी में स्वच्छ जल का इंतजाम किया गया। नदी को लबालब भर दिया गया। मंत्रियों ने राजा के लिए चमचमाती नाव का इंतजाम किया। राजा सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर नदी के तट तक पहुंच गए। तट से लेकर नाव तक लाल कालीन बिछा दिए गए थे। 

Credit: Google Search
 
तो जैसा होना चाहिए था, ठीक उसी के अनुरुप राजा ने सुकून और शान के साथ नाव पर सवार हुए। नदी के तटों के दोनों तरफ राजा के प्रेम से बंधी जनता भीड़ की शक्ल में खड़ी थी। लोग हाथ हिला रहे थे। राजा ने हाथ उठाकर भीड़ का अभिवादन स्वीकार किया। साफ पानी और सजी नाव पर सवार राजा मंत्रमुग्ध होकर चारों तरफ निहारते रहे। अंत में जब उनका मन भर गया। तब राजा ने लोगों को संबोधित किया। राजा ने कहा, इस तरह की नाव नदी में पहली बार चली है। नदी में साफ पानी हमारे शासन की उपलब्धि की कहानी बयान कर रहा है। आप बताओ, क्या आज तक कभी ऐसा हुआ? क्या कभी ऐसा हुआ? लोग समवेत स्वर में एक साथ तीन बार बोले। नहीं, नहीं, नहीं। लोगों की हर्ष से भरी ऐसी आवाज ने राजा को जोश से भर दिया। राजा के चेहरे पर गहरी मुस्कान बिखर गयी। राजा के चेहरे पर हंसी देखकर जनता गदगद थी। लोग एक दूसरे से बातें करते, मुस्कराते हुए घर की तरफ चल दिए। 

कई दिनों तक राजा की ये छवि लोगों को सपनों में आती रही। लबालब भरी नदी। चमचमाती नाव। और राजा का हंसी से भरा चेहरा। लोग भूला नहीं पाए। राज्य में मौसम बदल रहा था। गर्मियां शुरू होने में थोड़ा वक्त था। किसान खेतों में बीज बोने की तैयारी में थे। वो इस उधेड़बुन में लगे थे कि बीज का इंतजाम कैसे होगा? जब किसान अपने खेत के बारे में सोच रहा था, ठीक उसी वक्त शासन की तरफ से मुनादी हुई। किसानों के हित में एक एडवाइजरी जारी की गयी। शासन की तरफ से कहा गया, राज्य की नदियों में पानी का स्तर कम हो गया है। कई नदियां और नहरें सूखने की कगार पर हैं। और अच्छी बारिश के आसार भी दिख नहीं रहे हैं। आगे कहा गया। किसानों के लिए अच्छा यही होगा कि वो खेतों में बीज न बोएं। पहले से परेशान किसानों के पास बस एक उम्मीद बची थी। इस ऐलान से वो उम्मीद भी टूट गयी।  

लेकिन राजा के प्रेम में बंधे लोगों के लिए परेशान होने की कोई वजह नहीं थी। उनके मन में लबालब भरी नदी के चित्र अभी भी ताजा थे। चमचमाती नाव और राजा का हंसता चेहरा वो भूला ही नहीं पा रहे थे। राजा प्रेमी लोग चाय की चुस्की और चटपटे पकौड़ों के साथ उस दिन की न भूलने वाली यादें अपने दोस्तों के साथ ताजा कर रहे थे।

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