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Thursday, April 19, 2018

प्रधानमंत्री और उनके प्रेम में डूबा एक कवि, लंदन से भारत की बात का वर्ल्ड प्रीमियर

लंदन के वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में भारत की बात, सबके साथ कार्यक्रम को लेकर एक हेडलाइन दिमाग में चिपक सी गयी है। एक न्यूज चैनल ने लिखा – “लंदन से भारत की बात का वर्ल्ड प्रीमियर। जैसा न्यूज चैनल्स की शब्दावली होती है। यहां भारत की बातऔर वर्ल्ड प्रीमियर को उद्धरण चिन्हों के बीच रखा गया था। ऐसा जानबूझकर किया गया या ये अनजाने में हुआ। ये सवाल पूछा जा सकता है। पर वर्ल्ड प्रीमियर शब्द मेरे जेहन में अटक गया है।
लंदन में भारत की बात सबके साथ कार्य‌क्रम में प्रधानमंत्री मोदी
बात भारत की थी, पर सवालों की पटकथा चुनावों के इर्द गिर्द बुनी गयी थी। स्क्रिप्ट राइटर ने दो घंटे 20 मिनट की फिल्म को हिट कराने के लिए सारे मसाले डाले। पर हर मसाले में एक तत्व समान था। हर डॉयलॉग में मोदी था। सूत्रधार हो या सामने की कुर्सी पर बैठे प्रधानमंत्री, हर सवाल और उसका हर जवाब 2019 को ध्यान में रखकर गढ़ा गया। 

इस कहानी में पाकिस्तान था। सर्जिकल स्ट्राइक थी। रेप की घटनाएं थी। प्रधानमंत्री की फकीरी का पूरा विवरण था। फकीरी से आगे की बात हुई। औलिया का जिक्र छिड़ा। दानवीर कर्ण की तरह दान से भरे किस्सों को इस कहानी में जगह दी गयी थी। इस कहानी में बेहाली से जूझते किसानों के लिए सोने से चमकते सुनहरे सपनों की दास्तान भी थी। 

वैसे प्रधानमंत्री मंच पर हों, तो माहौल हॉलीवुड की किसी फंतासी सा बन ही जाता है। मंच पर भावनाओं के सारे रस उमड़ पड़ते हैं। आप नाम लीजिए, सारे मिलेंगे। कभी वो दुश्मन को चुनौती देते हैं, तो वीर रस का भाव आता है। विपक्ष पर हमला कर दें, तो रौद्र रस। प्रधानमंत्री का हास्य बोध भी गजब है। करुणा भी एक दो बार उनकी बातों में जरुर उमड़ती है। यहां भी ऐसा ही हुआ। किसी रस की कमी संभव ही नहीं थी। साथ में मोदीत्व में डूबा एक कवि बैठा था और मोदी मोदी के नारे लगाने में अभ्यस्त एक भीड़ भी थी।

लंदन में भारत की बात सबके साथ कार्य‌क्रम में प्रधानमंत्री मोदी

कवि की कल्पना देखिए। कवि ने पूरे दार्शनिक अंदाज में डूबकर लंबी सांसें भरकर पूछा आपको कुछ नहीं चाहिए। एक फकीरी है आपके नेचर में ! ये कैसे हुआ?”  ऐसे सवाल सुनकर कौन न भावविभोर हो जाता। प्रधानमंत्री भी हुए। एक मिनट तक वो भावों में खो से गए। फिर उन्होंने खुद को संभाला। भावों से वापस आए, तो फकीरी पर पूरा विवरण बताया। व्याख्या और संदर्भों के साथ। यहीं पर आकर औलिया का जिक्र छिड़ा। इस जवाब से कवि करुण रस से भर गया। उसके मन में प्रधानमंत्री के लिए प्रेम एक ही पल में कई गुना बढ़ गया था। इस तरह करुण रस से होते हुए कवि श्रृंगार रस में पहुंच गया।
 
लंदन में भारत की बात सबके साथ कार्य‌क्रम में कवि प्रसून जोशी
एक कवि बेचारा छोटे से मन में कितने आलोड़न संभाल सकता है। इसलिए अगला सवाल भीड़ की तरफ से पूछा गया। सवाल था प्रधानमंत्री जी, बीस घंटे काम करना, कोई छोटा काम नहीं। मेरा सवाल है कि आपके अंदर ऊर्जा कैसे आती है?” ये सवाल प्रधानमंत्री के मनमाफिक था। वैसे सारे सवाल ही थे। लेकिन ‌यहां प्रधानमंत्री ने अपने दार्शनिक पहलू से लोगों को अवगत कराया। एक कहानी सुनाई। और बताया कि जिस देश का वो बोझ उठा रहे हैं, वो उनका अपना है इसलिए बोझ जैसा महसूस ही नहीं होता। हर पल लगता है, जैसे काम करता रहूं। बीच बीच में मोदी मोदी की ध्वनि पार्श्व में उभरती। तालियां बजती। प्रधानमंत्री 20 सेकेंड का पॉज ले लेते। और फिर क्रम आगे बढ़ता रहता।

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान की ऐसी की तैसी कर दी। पाकिस्तान को दोटूक कह दिया। पीठ पर वार करने के प्रयास होते हों, तो ये मोदी है, उसी की भाषा में जवाब देना जानता है। तो जिस वक्त प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान और आतंकवाद को तिरछी आंख दिखाई। अगली सुबह अखबार में एक खबर साया हुई। केंद्रीय गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट के हवाले से इसमें लिखा था 2017 में 2016 के मुकाबले आम नागरिकों के हताहत होने के मामले 166 फीसदी बढ़े। 2017 में 342 आतंकवादी हमले हुए। इन आतंकवादी घटनाओं में 40 आम नागरिक मारे गए। और सिक्योरिटी फोर्स के 80 जवानों को शहादत देनी पड़ी। 

जिस वक्त प्रधानमंत्री आतंकवाद पर सर्जिकल स्ट्राइक कर रहे थे। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट बता रही थी कि 2014 के बाद आतंकी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। 2013 में 170 आतंकी घटनाएं हुईं। 2014 में 222 घटनाएं, 2015 में 208 घटनाएं, 2016 में 322 घटनाएं और 2017 में 342 आतंकी घटनाएं हुईं। आंकड़े साफ हैं। पर सरकार समर्थक कह सकते हैं, सर्जिकल स्ट्राइक और पाकिस्तान पर प्रधानमंत्री की सख्ती का जबर्दस्त असर हुआ है। 

शुरू में जैसा कहा गया, ये भारत की बात का वर्ल्ड प्रीमियर था। कवि के हर सवाल और प्रधानमंत्री के एक एक जवाब को सुनकर लगा, 2019 के चुनावी प्रचार का प्रीमियर लंदन से हो रहा है। 2019 से पहले कर्नाटक की जंग जीतनी है। इसलिए सवालों में कर्नाटक के संत बसवेश्वर को डाला गया। इसके बहाने प्रधानमंत्री ने लिंगायतों पर निशाना साधा। लिंगायत कर्नाटक में चुनाव जिताने का रास्ता हो सकते हैं। इसलिए संत बसवेश्वर की शिक्षाओं पर एक छोटा व्याख्यान हुआ। 

लंदन के वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री करीब दो घंटे 20 मिनट बोलते रहे। बीच बीच में कवि प्रसून जोशी सवालों से प्रधानमंत्री को सहला देते थे। मुझे यकीन है कि कवि की बातें प्रधानमंत्री को ठंडी हवा के झौकों सी लगती होंगी। प्रसून जोशी की आवाज में जादू है। भारत की बात, सबके साथ कार्यक्रम के लिए उन्होंने अपने सुर को एक पायदान नीचे रखा। ऐसे में किसका मन खुश न हो जाए? प्रधानमंत्री जी का भी हुआ होगा।

Wednesday, April 18, 2018

गुस्ताखी माफ प्रधानमंत्री जी, कुछ गलतियां बतानी हैं


मुझसे कोई गलती हो जाए, तो बताते रहिए।

लंदन के वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में करीब दो घंटे 20 मिनट लंबी भावपूर्ण बातचीत के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने हजारों की संख्या में सुनने और देखने पहुंचे लोगों से ये बात कही। ये कहते हुए, प्रधानमंत्री गरिमा से भरे हुए लगे। जैसा एक प्रधानमंत्री को होना चाहिए। 
भारत की बात, सबके साथ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी

इस बात से थोड़ी देर पहले प्रधानमंत्री ने एक और पते की बात कही। जैसा कबीरदास जी कह गए हैं निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। बिन पानी, साबुन बिना; निर्मल करे सुभाय।। ऐतिहासिक वेस्टंमिस्टर सेंट्रल हॉल में भारत की बात, सबके साथकार्यक्रम में तालियों की गड़गड़ाहट और मोदी मोदी के नारों के बीच प्रधानमंत्री ने कहा  मैं आलोचना पसंद करता हूं। मैं आलोचना से घबराता नहीं हूं। प्लीज, मेरी आलोचना करो, क्योंकि इससे अलर्ट होने का मौका मिलता है। आलोचना लोकतंत्र की ताकत है।
भारत की बात, सबके साथ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी

 
मोदी हमारे प्रधानमंत्री हैं। मुझे उम्मीद है, वो जानना चाहेंगे कि गलती कहां हो रही है। और वो मेरी कड़वी बातों को पसंद करेंगे। जैसा उन्होंने कहा मैं भी मानता हूं, आलोचना लोकतंत्र की ताकत है। और आलोचना अच्छे मन से स्वीकार की जाए, तो काफी बिगड़ी बातें पटरी पर आ सकती हैं।
प्रधानमंत्री जी, आप गलतियां बताने की बात करते हैं, लेकिन गलती करने वालों पर कोई एक्शन नहीं लेते। मुझे तो लगता है, आप अपने सहयोगियों की गलतियां नजरअंदाज करते जा रहे हैं। होगी इसकी कोई वजह। लेकिन यकीन मानिए, प्रधानमंत्री जी, इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ रहा है, और आपकी छवि पर भी इसका निगेटिव असर पड़ रहा है।

प्रधानमंत्री जी, मैं ऐसी कोई बात नहीं बताऊंगा। जिससे आपको अपने दिमाग पर ज्यादा जोर डालना पड़े। इसलिए मैं हाल फिलहाल की गलतियों पर ही आपका फोकस रखना चाहता हूं। 


रेप के आरोपियों का समर्थन करने वाले मंत्रियों पर एक्शन में देरी क्यों?

प्रधानमंत्री जी, कठुआ में आठ साल की बच्ची का गैंगरेप और मर्डर हुआ। आपकी पार्टी के दो नेताओं ने (दोनों बीजेपी की सरकार में मंत्री भी थे) आरोपियों का समर्थन किया। आपको तो पता ही होगा, संविधान की शपथ लेकर मंत्री बनने वाले लाल सिंह चौधरी और चंद्र प्रकाश गंगा ने पुलिस पर सवाल उठाए, भीड़ को पुलिस के खिलाफ भड़काया। एक और बात आपको पता होगी,  इन लोगों ने 17 जनवरी के बाद से लेकर 9 अप्रैल तक लगातार लोगों को भड़काने का काम किया। 

प्रधानमंत्री जी, आपकी पार्टी के ये दो नेता, जो मंत्री भी थे। लगातार समाज को हिंदू-मुसलमान में बांटते रहे। आप बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं और सरकार में भी सबसे बड़े पद पर हैं। आपको बताना चाहता हूं कि आपने यहां एक गलती की है। राजधर्म का पालन नहीं हुआ है। जब आपको पता चला कि आपके दो नेता बलात्कार के आरोपियों का समर्थन कर रहे हैं, आपको उसी दिन इन दोनों को सरकार से हटने के लिए कहना चाहिए था। मंत्री हटे, इस्तीफे हुए। पर इसमें चार महीने लगे। मेरा ख्याल है कि एक प्रधानमंत्री को इस काम में चार दिन से ज्यादा नहीं लगाने चाहिए। 
भारत की बात, सबके साथ कार्यक्रम में कवि प्रसून जोशी

कोर्ट और कानून का मजाक बनाने वाले पर सख्ती क्यों नहीं?

प्रधानमंत्री जी, मैं आपका ध्यान एक और गलती की तरफ खींचना चाहता हूं। आप अश्विनी कुमार चौबे को तो जानते ही होंगे। अश्निनी कुमार चौबे आपकी सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री हैं। आपको पता होगा कि अश्विनी जी के बेटे अरिजित शाश्वत ने क्या किया?

आपके मंत्री के बेटे ने 17 मार्च को बिना इजाजत भागलपुर में एक जुलूस निकाला। कहा तो ये भी जा रहा है कि ये जुलूस जानबूझकर मुस्लिम बहुल इलाकों से निकाला गया। आरोप है कि जुलूस में एक समुदाय को उकसाने वाले आपत्तिजनक नारे लगाए गए। जिसके बाद माहौल खराब हो गया। मारपीट, पथराव, आगजनी, तोड़फोड़ और गोलीबारी की घटना घटी। इसी घटना के बाद बिहार में एनडीए सरकार ने आपकी पार्टी के इस नेता पर दंगा भड़काने का केस दर्ज किया। लोकल कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया। पर आपकी पार्टी का ये नेता 15 दिन तक पुलिस को चकमा देता रहा।
अच्छा तो ये होता प्रधानमंत्री जी, आपकी तरफ से सख्ती की जाती, और बीजेपी के इस नेता को सख्त लहजे में समझाया जाता। लेकिन आपने गलती की प्रधानमंत्री जी। 

शायद आप जानते होंगे। आपकी सरकार के मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने संविधान की शपथ खाने के बावजूद अपने उस बेटे का साथ दिया, जिसके खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखा था। आपके मंत्री साथी ने कहा मुझे गर्व है कि मेरा बेटा बीजेपी-आरएसएस का स्वयंसेवक है। वो कह रहा थे कि उन्हें अपने बेटे के काम पर नाज है। और उनके बेटे ने हिंसा के पांचवे दिन एफआईआर को लेकर कहा - मेरे खिलाफ जो एफआईआर हुई है, मैं उसे रद्दी का टुकड़ा मानता हूं। और इस एफआईआर को कूड़े में फेंकता हूं।  आपको समझना चाहिए कि गलती कहां हुई?
 
प्रधानमंत्री जी, एक महीना होने को है। आप इस मामले में बुरी तरह चूक गए। आपने न तो अपने मंत्री पर नकेल कसी। न उसके नेता बेटे पर। संविधान की शपथ खाकर आपका मंत्री कानून को ठेंगा दिखाता रहा। आपसे गलती तो हुई है।

रेप के आरोपी को संरक्षण क्यों दिया गया?

प्रधानमंत्री जी, उन्नाव में आपकी पार्टी के एक विधायक कुलदीप सेंगर पर एक लड़की ने रेप का आरोप लगाया है। वो लड़की एक साल से न्याय की उम्मीद के साथ इधर से उधर भटक रही है। थक हारकर वो आपकी पार्टी के मुख्यमंत्री के घर के सामने आत्मदाह करने पहुंची। 

और आपको पता होगा, जब ये लड़की न्याय के लिए भटक रही थी। उसी वक्त उसके पिता पर उलटा केस करा दिया गया। आरोप है कि आरोपी विधायक के भाई ने पीड़ित लड़की के पिता को बुरी तरह पीटा। पिता की पुलिस की हिरासत में ही मौत हो गयी। प्रधानमंत्री जी, आप मीडिया फ्रेंडली हैं। आपको देखकर लगता है कि आप न्यूज चैनल्स देखते होंगे। इस लड़की की कहानी लगातार एक हफ्ते चली। मुझे शिकायत है कि आप इस मामले में चुप रहे। 

मुझे लगता है, इस मामले में भी आपसे गलती हुई है। प्रधानमंत्री जी, आपको उस आरोपी विधायक को अपनी पार्टी से तुरंत निकलवा देना चाहिए था। आपको अपने मुख्यमंत्री को आदेश देना चाहिए था कि कि आरोपी विधायक को तुरंत गिरफ्तार करवाए। 

आपकी गलती तो है प्रधानमंत्री जी। आप इस मामले में सुस्त रहे। इसलिए हाईकोर्ट को बीच में आना पड़ा। हाईकोर्ट को कहना पड़ा कि विधायक को गिरफ्तार कब करोगे? आपकी गलती ये है कि आपने संवेदनशील बन चुके मामले में हस्तक्षेप नहीं किया। 

संविधान बदलने की बात करने वाले मंत्री पर नरमी क्यों?


प्रधानमंत्री जी, आप अनंत कुमार हेगड़े को तो जानते ही होंगे। आपकी सरकार में अनंत कुमार हेगड़े केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री हैं। प्रधानमंत्री जी, 26 दिसंबर को आपके मंत्री ने कर्नाटक के कोप्पल में कहा, बीजेपी संविधान बदलने के लिए सत्ता में आई है। लोग धर्मनिरपेक्ष शब्द से इसलिए सहमत हैं, क्योंकि यह संविधान में लिखा है। इसे (संविधान) बहुत पहले बदल दिया जाना चाहिए था, और हम इसे बदलने जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी, उन्होंने आगे कहा, जो लोग खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, वे बिना माता पिता से जन्म लेने वालों की तरह हैं। अगर कोई कहता है कि मैं मुस्लिम, ईसाई, लिंगायत, ब्राह्मण या हिंदू हूं; तो मुझे खुशी होती है, क्योंकि वो अपनी जड़ों को जानते हैं। लेकिन जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, मैं नहीं जानता उन्हें क्या कहा जाए।

प्रधानमंत्री जी, ये आपके उस मंत्री के शब्द हैं। जिसने आपकी आंखों के सामने संविधान की सौगंध खाकर मंत्री पद संभाला था। ये आपको क्या बताना कि संविधान का मतलब क्या है? प्रधानमंत्री जी, आपकी पार्टी ने आपके इस मंत्री से अगले दिन ही पल्ला झाड़ लिया था। तो फिर आपने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। आपने गलती बताने की बात की; प्रधानमंत्री जी, आपकी इस गलती को चार महीने होने वाले हैं।

आप खुद संविधान को बहुत अहमियत देते हैं। पर आपका एक मंत्री संविधान बदलने की बात खुलेआम करता है। फिर भी आप कोई एक्शन नहीं लेते। कई लोग समझ रहे हैं कि आप अपने मंत्री का मौन समर्थन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी, मुझे लगता है। एक ताकतवर कुर्सी पर बैठकर जब आप गलत के खिलाफ एक्शन नहीं लेते, ये आपकी गलती है।

गलतियों का सुधार कब होगा, प्रधानमंत्री जी?

प्रधानमंत्री जी, ये अच्छी बात है कि आपकी पार्टी में लोकतंत्र इतना गहरा है कि कोई भी कुछ भी कह सकता है। पर कठुआ में जब आपके दो मंत्री रेप के आरोपियों का समर्थन करते हैं। तो वो नैतिक रुप से गलती करते हैं। ये एक तरह से रेप का समर्थन करने जैसा है। प्रधानमंत्री जी, ऐसे लोगों पर सख्ती किए बिना रेप की घटनाओं पर आप चाहे जितनी बातें कर लें, चाहें जितना दुख जता लें। ऐसा लगेगा, जैसे आप सिर्फ कहने के लिए कह रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी, भागलपुर के अरिजित शाश्वत और उनके पिता की बातों पर चुप्पी; उन लोगों को ताकत देती है, जो समाज को धर्म के आधार पर बांटकर राजनीति करना चाहते हैं। आपकी चुप्पी बहुत से लोगों को ऐसी राजनीति करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।  

आप बाबा साहब आंबेडकर के अनन्य भक्त हैं, लेकिन आपका मंत्री संविधान पर चोट मारने की बात करता है; पर आप खामोश रहते हैं। प्रधानमंत्री जी, ये बाबा साहब की कैसे भक्ति है

प्रधानमंत्री जी, आपने कहा कि आपको गलतियां बताई जाएं। इसलिए मुझमें ये सब कहने की हिम्मत आई है। वरना आजकल लोग आपके बारे में कुछ भी कहने से डरते हैं। पर आपके मुंह से सुना कि आप आलोचना पसंद करते हैं, इसलिए लगा कि आपको बताना चाहिए। वैसे गलतियां आपने और भी की हैं। मैं कोशिश करुंगा कि आपको बताता रहूं।

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Saturday, April 14, 2018

पकौड़ा विकास पार्टी और ‘पकौड़ा’ केंद्रित घोषणापत्र



इतिहास कई बार अनोखी करवट लेता है। कई बार ऐसी बातें हो जाती हैं, जो आगे चलकर युगांतकारी साबित होती हैं। ऐसा ही पकौड़ों के साथ हुआ। महापुरुष के श्रीमुख से निकली बहुत छोटी सी बात ने पकौड़ों का भूत और भविष्य दोनों बदल दिया। महापुरुषों के शब्दों के क्या मायने होते हैं। ये बात पकौड़ों का उदाहरण देकर समझी जा सकती है। 

पकौड़ों की अहमियत के बारे में उनके श्रीमुख से चंद शब्द ही निकले थे। और पकौड़े रातों रात लोकप्रियता के सोपान चढ़ते चले गए। असर इतना गहरा हुआ कि देश के करोड़ों बेरोजगार पकौड़ों की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखने लगे। 
Courtsey: www.techhometips.com / in


ऐसे प्रशिक्षित शिक्षक जिन्हें अभी तक किंचित कारणों से सरकारी नौकरी नहीं मिली पाई थी। वो अच्छे दिनों की उम्मीद से चहकने लगे। पकौड़़ा विद्यालय, पकौड़ा महाविद्यालयों और पकौड़ा यूनिवर्सिटी के खुलने की उम्मीद जगी। तो इनके सुस्त पंखों ने फड़कना शुरू कर दिया।
 
पकौड़ों की अपार लोकप्रियता का जबर्दस्त असर हुआ। पकौड़ों के इर्दगिर्द तेजी से घटनाक्रम बदला। और इसकी वजह से कई नए एवेन्यू खुल गए।  इसी क्रम में चुनाव से कुछ दिन पहले पकौड़ा विकास पार्टी अस्तित्व में आई। पकौड़ा विकास पार्टी ने क्रांतिकारी तरीके से राजनीति के मैदान में कदम रखा। अपने गठन के कुछ दिनों बाद ही पार्टी ने पकौड़ों के विकास का प्लान जनता से साझा किया। पार्टी ने एक चकाचक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके झन्नाटेदार घोषणापत्र जारी किया।

पकौड़ा विकास पार्टी के घोषणापत्र में रोजगार के वादे को प्रमुखता से जगह दी गयी। रोजगार के लिए एक वृहद पॉलिसी का वादा किया गया। बेरोजगारी की तेज वृद्धि दर को पछाड़ने के लिए संगठित और असंगठित क्षेत्र के साथ साथ पकौड़ा क्षेत्र के रोजगार को भी शामिल किया गया।
पकौड़ा विकास पार्टी के नेता पकौड़ा रोजगार के क्षेत्र के ज्ञाता थे। अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने पकौड़ा क्षेत्र के रोजगार के लिए कुछ अहम वादे किए। पकौड़ा विकास पार्टी के घोषणापत्र में पकौड़ा रोजगार को खास जगह दी गयी।

पकौड़ा विकास पार्टी के नेता ने कहा। हमारी सरकार बनी तो, हम चार स्तर पर काम करेंगे। पहले स्तर पर पकौड़ा विद्यालय और पकौड़ा महाविद्यालयों की स्थापना की जाएगी। दूसरे स्तर पर तकनीकी एजुकेशन देने के लिए पकौड़ा आईटीआई और पकौड़ा पॉलीटेक्निक खोले जाएंगे। तीसरे स्तर पर पकौड़ा यूनिवर्सिटी खोलने की योजना है। हम चाहते हैं कि पकौड़ा विषय पर विस्तृत शोध हों, जिससे हम पकौड़ा क्षेत्र में दुनिया के विकसित देशों का मुकाबला कर सकें। पकौड़ा विकास पार्टी ने चौथे स्तर पर पकौड़ा आयोग के गठन का वादा किया। 

पकौड़ा नीति को लेकर पार्टी ने घोषणापत्र में ठोस रुपरेखा का वर्णन किया। पकौड़ा आयोग के गठन के पीछे पार्टी के नेता का खास इरादा था। इसका जिक्र भी घोषणापत्र में किया गया था। पकौड़ा आयोग का काम राष्ट्रीय स्तर पर पकौड़ा नीति बनाने का होगा। राज्यों के साथ तालमेल की जिम्मेदारी पकौड़ा आयोग पर ही होगी। पकौड़ा आयोग, पकौड़ा रोजगार से जुड़े सभी पक्षों के साथ सामंजस्य बिठाने का काम करेगा। पकौड़ा विद्यालय, पकौड़ा महाविद्यालय से लेकर पकौड़ा आईटीआई, पकौड़ा पॉलीटेक्निक और पकौड़ा यूनिवर्सिटी तक सभी एक दिशा में काम कर सकें, इसकी गाइडलाइंस बनाने की जिम्मेदारी भी पकौड़ा आयोग की होगी। 

पकौड़ा विकास पार्टी के घोषणापत्र के अगले हिस्से में लिखा था। पकौड़ा क्षेत्र को अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाने के लिए पकौड़ा विकास पार्टी पूरी तरह कृतसंकल्प है। हम पकौड़ा रोजगार के प्रति युवा पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए विशेष बैंक की स्थापना करेंगे। ये बैंक पकौड़ा रोजगार के इच्छुक युवाओं को आर्थिक मदद मुहैया कराएंगे। पकौड़ा रोजगार शुरू करने के लिए राष्ट्रीय नीति के तहत पहली बार बेसन, आलू, प्याज, तेल और नमक फ्री दिया जाएगा। हमारी सरकार कड़ाही, करछी और गैस चूल्हे के लिए कम ब्याज दर पर लोन की व्यवस्था भी करेगी। 

घोषणापत्र में वादा किया गया था कि अलग अलग बाजारों, चौराहों, सड़कों और गलियों पर पकौड़ा रोजगार के लिए जगह अलॉट की जाएगी। जगह के आवंटन के लिए राज्य स्तर पर लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। बाजार, सड़क और गलियों का आवंटन मेरिट के आधार पर होगा। जिन प्रतिभागियों की टॉप रैंकिंग होगी, उन्हें बाजारों में जगह दी जाएगी। इसके बाद प्रमुख चौराहों, सड़कों और गलियों का नंबर आएगा।

पकौड़ा क्षेत्र के बारे में ऐसे वादे और इस तरह की ठोस नीति का मतदाताओं पर जबर्दस्त असर हुआ। पकौड़ों के अच्छे दिन आएंगे, इस उम्मीद से पकौड़ा विकास पार्टी को लोगों का अपार समर्थन मिला। पकौड़ों से जुड़े नारों ने ठीक वैसा असर किया, जैसा कभी गरीबी वरीबी हटाने के नारे ने किया था। चुनाव में झूठे नारे देने की हमारे यहां पुरानी परंपरा है। इसलिए पकौड़ा विकास पार्टी ने पूरी ईमानदारी से इसका निर्वहन किया। 

वोटर्स जानते थे कि पकौड़ा विकास पार्टी जुमलेबाजी कर रही है। फिर भी उन्होंने सोचा, चेंज होना चाहिए। देखते ही देखते पूरे राज्य में बदलाव की बयार बहने लगी। वोटिंग वाले दिन मतदान केंद्रों पर वोटर्स की लंबी लंबी लाइनें लग गयी। और हर बार की इस बार भी वोटर्स ने अपना फर्ज अदा किया। वोटर वोट डालकर भूल गए। और पकौड़ा विकास पार्टी के नेताजी वादा करके। पकौड़े अगले पांच साल अपनी नियती पर तरसते रहे। पकौड़ों के साथ विकास के पथ पर चलने का सपना देख रहे लोग भी देखते रह गए। और इस तरह पांच साल बाद फिर से चुनाव का ऐलान हो गया।

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Friday, April 13, 2018

#JusticeForKathuaGirl

प्लीज, थोड़ा रोइए ! बहुत कुछ मर रहा है

वो एक मंदिर ही था।
जहां उस बच्ची की सिसकियों ने दम तोड़ा।
उस आखिरी लम्हे से पहले वो कई बार चिल्लाई। मैंने उस लम्हे को नहीं देखा। पर मुझे यकीन है, वो जरुर चिल्लाई होगी। जिस तरह उसके प्राइवेट पार्ट को कुरेदा गया। उसके शरीर को नोंचा गया। चेहरा पत्थर की चोट मारकर कुचल दिया गया। कौन नहीं चिल्लाएगा? वो जरुर चिल्लाई होगी।

धर्म भी था, उस चीख में शामिल। बड़ी ताज्जुब की बात है। 
Courtsey: News 18

चीख, क्या इतनी गूंगी होती है कि उसे कोई सुन ही नहीं सका? वो सात दरिंदे, तो बहरे ही रहे होंगे। पर उस मंदिर में कुछ पुतले भी तो थे। जिन्हें सब भगवान कहते हैं। क्या उन्होंने भी नहीं सुनी वो चीख? तो भगत सही कहता था। उसने सही किया, जो वो नास्तिक बन गया। कठुआ के भगवान ने भगत की कही को सच साबित कर दिया।

भगत ने यही तो कहा था, “अगर आपका विश्वास है कि एक सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक और सर्वज्ञानी ईश्वर है, जिसने दुनिया की रचना की, तो कृप्या करके मुझे यह बताएं कि उसने यह रचना क्यों की? कष्टों और संतापों से पूर्ण दुनिया असंख्य दुखों से ग्रसित। एक भी आदमी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। कृप्या यह न कहें कि यही उसका नियम है। यदि वह किसी नियम से बंधा है, तो वो सर्वशक्तिमान नहीं है।

तो कैसे मानूं? कठुआ के उस मंदिर में बसी मूर्तियों में उस रोज ईश्वर था! अगर वो होता, तो उस बच्ची की चीख, दर्द पर उसका दिल न पसीजता भला? अगर वो होता, तो भला अपनी मासूम बेटी को हैवानों से बचाने न आता भला?

सच कहा, तुमने भगत। अगर यही उसका नियम है। यदि वह किसी नियम से बंधा है, तो वो सर्वशक्तिमान नहीं है। नहीं है वो मेरा ईश्वर। मैं उस ईश्वर की सत्ता को नकारना चाहता हूं। मैं भी कहना चाहता हूं। मैं नास्तिक हूं।

ईश्वर नाम की उस कल्पना से लड़ना आसान है। पर ईश्वर से भी मजबूत बन गई सत्ता और इसके इर्दगिर्द सिमटे लोगों से कैसे लड़ेगा कोई? वो भी तब जब धर्म के कुछ ठेकेदारों से इनकी तगड़ी दोस्ती हो गयी है। धर्म, इनकी सत्ता को आगे बढ़ाता है। और इनकी सत्ता, धर्म को। और इसके बीच चीख उभरती है। दर्द पनपता है। जिस तरह कठुआ में हुआ।

दर्द। दर्द की भी इंतेहा होती है। शायद उस बच्ची ने उस इंतेहा को छू लिया होगा। वो दर्द तो उन आठ दरिंदों ने भी देखा ही होगा। जिन्हें हम आरोपी कह सकते हैं। पर आंखों पर धर्म की काली छाया पड़ जाए, तो दिन में भी अंधेरा ही दिखेगा। शायद वो अंधे हो गए होंगे, सो दर्द नहीं दिखा होगा। पर उस ईश्वर का क्या करें? जो कहने को हर जगह व्याप्त है। और खासतौर से कठुआ के उस मंदिर में भी रहा होगा? मुझे तो अब यकीन नहीं है।

ईश्वर शायद सोया होगा? इसलिए इंसानियत भी उस रोज सो गयी। 12 जनवरी का दिन था। जब 8 साल की बच्ची का अब्बा करीब 48 घंटे तक बेटी को तलाश करने के बाद मायूस होकर पुलिस के पास पहुंचा। हीरानगर थाने में केस दर्ज कराया गया। बेजार पिता ने पुलिस को बताया कि बेटी दो दिन पहले 10 जनवरी के रोज दोपहर करीब साढ़े बारह बजे घोड़ों को चराने पास के जंगल गई थी। दो बजे तक बेटी को जंगल में देखा गया। शाम करीब चार बजे घोड़े घर लौट आए। पर बेटी नहीं लौटी।

बेटी घर नहीं पहुंची, तो सबसे खूब ढूंढा। परिवार कहता है, वो अल्ला का नूर थी। मां और पिता की आंखों के आगे अंधेरा छा गया होगा। मन आशंकाओं से भर गया होगा। कहीं कोई जानवर बेटी को उठा तो नहीं ले गया? आशंका सच साबित हुई। वो जानवर ही थे। अब्बू की एफआईआर दर्ज होने के पांचवें दिन 17 जनवरी को रासना के जंगल में एक बच्ची का शव मिला। वो उन्हीं  की बेटी थी।

आरोपियों ने आठ साल की उस बच्ची को इसलिए अगवा किया। रेप किया। हत्या कर दी। क्योंकि वो बकरवाल समुदाय से थी और एक मुसलमान थी। आरोपी बकरवाल समुदाय से अपनी नफरत का हिसाब चुकता करना चाहते थे। नफरत के इस हिसाब किताब में दो पुलिसवाले भी शामिल हो गए। सिर्फ डेढ़ लाख रुपये में एक एसआई और एक हेड कॉन्स्टेबल का ईमान बिक गया। इंसानियत तो इनमें से किसी के पास भी नहीं थी, शायद। अगर होती, तो वो बच्ची बच जाती।

सात दिन में आठ साल की उस बच्ची के साथ न जाने कितनी बार रेप हुआ। उसे नशे की दवाईयां खिलाकर बार बार रेप किया। पिटाई की गयी। हैवानियत की गयी। आरोपी पकड़े गए। चार्जशीट भी हो गयी। लेकिन एक सियासी पार्टी से संबंध रखने वाले कठुआ के कुछ नेता, इनमें कुछ सरकार चलाते हैं। इन नेताओं और मंत्रियों के पीछे चलने वाले उनके समर्थक। उन दरिंदों को आरोपी नहीं मानते। बहुत सारे वकील भी हैं, जो दरिंदों को गुनहगार मानने से इनकार कर रहे हैं। यहां तक की इलाके का बार एसोसिएशन भी खुलकर आरोपियों के पक्ष में खड़ा है।

ये एक नहीं है। कई लोग हैं। सैकड़ों हैं। बात धर्म से जुड़ी है, तो ये ईश्वर को जरुर मानते होंगे। ईश्वर की कई दिनों की पूजा के बाद, अगर इनके दिल में इंसानियत मुर्दा है। तो फिर मैं उस ईश्वर को क्यों मानूं भला?  

वो मरने वाली आठ साल की बच्ची थी। नाम? नाम में क्या रखा है? नाम तो कुछ भी हो सकता है। दुनिया में लड़कियों के करोड़ों नाम हैं। आप जिस नाम से चाहें, उसे बुला सकते हैं। आपकी बेटी का जो नाम है, आप उस बच्ची को उस नाम से भी पुकार सकते हैं। आप कठुआ पहुंचकर जितना भी चीखें, चिल्लाएं। कितनी ही बार उस बच्ची का नाम पुकारें। वो अब जवाब नहीं देगी। शायद सही हुआ। जो वो बच्ची मारी गयी। हैवानों की इस दुनिया में जीकर भी क्या कर लेती वो?

उन दरिंदों के लिए, वो बच्ची हवस थी। नफरत पालने का एक जरिया थी। कुछ के लिए मर चुकी बच्ची राजनीति और सत्ता का एक औजार बन गयी है। नन्हीं बच्ची, न नफरत का जानती थी। न राजनीति का और न ही धर्म का समझती थी। पर नफरत, राजनीति और धर्म तीनों मिलकर बच्ची को खा गए।

यकीन मानिए। कहने को बहुत कुछ है। पर माफ कीजिए। अभी थोड़ा रोना चाहता हूं। 

 #JusticeForKathuaGirl

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